इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश पुलिस में 28,916 पदों पर कांस्टेबलों की चल रही भर्ती के अभ्यर्थियों को बड़ी राहत मिली है.
कई जिलों के अभ्यर्थियों के हाईस्कूल और इण्टरमीडिएट के प्रमाण पत्र अमान्य किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पुलिस भर्ती और पदोन्नति बोर्ड के चेयरमैन को मामले पर विचार कर चार हफ्ते में निर्णय लेने और आदेश पारित करने का निर्देश दिया है.
इटावा,एटा,मैनपुरी,औरैया, अलीगढ़ सहित कई जिलों के अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बी अमित स्थायीलेकर की एकलपीठ ने ये आदेश दिया है. गौरतलब है कि यूपी पुलिस में 29 दिसम्बर 2015 को कांस्टेबलों के 28,916 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया था.
जिसमें पहली बार हाई स्कूल और इण्टर की मेरिट और फिजिकल की मेरिट को सेलेक्शन का आधार बनाया गया था। जिसके तहत अप्रैल 2016 में मेरिट आउट हुई जिसमें 191.17 अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को अगले चरण के लिए सेलेक्ट भी किया गया.
लेकिन हाईस्कूल और इण्टर के अंक पत्र और प्रमाण पत्रों की जांच के लिए प्रदेश में 17 सेन्टर बनाये गए थे. इन सेन्टरों पर याचिकाकर्ताओं के प्रमाण पत्रों की जांच की गई तो पता चला कि माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश के बजाय देश में संचालित अन्य बोर्डों से इन्होंने हाईस्कूल व इण्टर की परीक्षा पास की है.
जिसे सक्षम अधिकारियों ने यूपी बोर्ड के समकक्ष न मानते हुए अमान्य कर दिया और सभी चयनित अभ्यर्थी भर्ती प्रक्रिया से बाहर हो गए थे. याचियों ने अपनी याचिका में दलील दी थी कि जिन बोर्डों से उन्होंने हाई स्कूल और इण्टर की परीक्षा पास की है वे भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हैं.
जिसे स्वीकार करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस भर्ती के अभ्यर्थियों को बड़ी राहत प्रदान की है.