नई दिल्ली। पांच करोड़ गरीबों को तीन साल में रसोई गैस कनेक्शन देने की महत्वाकांक्षी घोषणा के बाद सरकार गृहणियों को स्वच्छ ईंधन का विकल्प मुहैया कराने को इलेक्ट्रिक चूल्हे को प्रोत्साहित करने पर विचार कर रही है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पानागढिय़ा का कहना है कि खाना पकाने के साधन के तौर पर इलेक्ट्रिक चूल्हा दीर्घावधि में रसोई गैस की तुलना में सस्ता पड़ेगा, इसलिए स्वच्छ ईंधन के विकल्प के तौर पर इसे प्रोत्साहित करने पर विचार किया जाना चाहिए।
पानागढिय़ा ने इलेक्ट्रिक चूल्हे की वकालत करते हुए 14.2 केजी के 8 से 10 सिलेंडरों से एक साल में जितना खाना पकता है, उसके लिए हर दिन चार किलोवाट प्रति घंटा बिजली उपभोग पर्याप्त है। बिजली के मौजूदा दाम के आधार पर इस पर इतना ही खर्च आएगा जितना कच्चे तेल का भाव 60 डालर प्रति बैरल होने पर एलपीजी से खाना पकाने पर आता है। फिलहाल कच्चे तेल के दाम कम हैं और आने वाले समय में कच्चे तेल का भाव 50 डालर प्रति बैरल या उससे भी अधिक हो सकता है। इसलिए खाना पकाने के लिए बिजली से चलने वाले चूल्हे अच्छा विकल्प हो सकते हैं।
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