इलेक्ट्रिक व्हीकल्स से 2030 तक ईंधन में 60 अरब डॉलर की बचत संभव

नई दिल्ली: इलेक्ट्रिक और साझा वाहनों के तेज़ प्रवृत्ति के कारण डीजल और पेट्रोल की लागत में 60 अरब अमेरिकी डॉलर की बचत हो सकती है, जबकि 2030 तक भारत के मामले में 1 गीगाटन कार्बन उत्सर्जन में कमी हो सकती है। नीति आयोग की आज जारी एक संयुक्त रिपोर्ट में यह बात कही गई। लेकिन देश कुछ चुनौतियों का सामना है जो घरेलू वाहन खिंचाव का संकेत देते हैं।

रिपोर्ट का अनुमान है कि भारत सावधानी से काम लेते हुए यात्रियों की संभावित आंदोलनों से संबंधित ऊर्जा की मांग का 64 प्रतिशत तक बचा सकता है और 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 37 प्रतिशत तक कमी हो सकती है। नीति आयोग और रॉक माउंटेन संस्थान पेशकश रिपोर्ट में कहा गया कि 2030 तक वार्षिक रूप में 156 मिलियन टन तेल मिलान डीजल और पेट्रोल की खपत में कमी होगी।

तेल की मौजूदा कीमत के आधार पर ईंधन के लिए सामान्य लागत में इस तरह की बचत 2030 तक लगभग 3.9 लाख करोड़ रुपये का अंतर होगा। नीति आयोग सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि कोई चाहें या न चाहें इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs) भारत में वास्तविकता बन जाएंगे और यह अपरिहार्य है।

उन्होंने बताया कि बैट्री की लागत हर पांच साल में लगभग आधे रही है और फलस्वरूप आगामी चार इसलिए पांच साल में बैट्री वाली इलेक्ट्रिक व्हीकल्स भी पेट्रोल या डीजल वाहनों की तुलना में अधिक महंगा नहीं होंगे। और इसे चलाने का खर्च पेट्रोल वाली कार महज 20 प्रतिशत होगा।