इलेक्शन कमीशन ने मोदी के मुआमले में जल्दबाज़ी की: जेटली

बी जे पी लीडर अरूण जेटली ने आज नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ एफ़ आई आर दर्ज करने इलेक्शन कमीशन से हुक्मनामा का जवाज़ तलब किया और कहा कि जिस तरह का तास्सुर कमीशन ने दिया है, इससे दस्तूरी गुंजाइश के ग़लत इस्तिमाल का इशारा मिलता है।

अरूण जेटली ने कहा कि इलेक्शन कमीशन ने अच्छी मुज़ाहरा नहीं किया क्योंकि फ़ौजदारी क़ानून को महदूद दायरा में नहीं रखा जा सकता है और इंतिख़ाबी इलाक़ा की भी जो तशरीह की गई है, इसके मुताबिक़ नरेंद्र मोदी उस वक़्त जब वो मीडिया से बात कररहे थे, पोलिंग स्टेशन के अंदर मौजूद नहीं थे।

आम तौर पर मुल्क में दीगर क़ाइदीन राय दही के बाद पोलिंग स्टेशन में रहते हुए ही मीडिया से बातचीत किया करते हैं। उन्होंने कहा कि जब दस्तूरी इदारा जल्दबाज़ी और ब्रहमी के आलम में रद्द-ए-अमल ज़ाहिर करते हैं तो वो वसीअ उल-नज़री से महरूम रहते हैं। फ़ौजदारी क़ानून की गुंजाइशों पर सख़्ती से अमल होना चाहिए लेकिन इसके हक़ीक़ी मानी-ओ-मफ़हूम को भी समझना ज़रूरी है।

एक अवामी जल्सा-ए-आम तौर पर अवामी जलसा होता है लेकिन मीडिया से एक दो बात कर लेने को अवामी जलसा नहीं कहा जा सकता। अगर राय दही के दिन सियासी क़ाइदीन के बयानात दिखाने पर मीडिया के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाती है तो ये दस्तूर में दी गई इज़हार-ए-ख़्याल की ज़मानत के बरअक्स होगा।

उन्होंने अपने ब्लॉग पर वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ,नोबल ईनाम-ए-याफ़्ता अमर्त्य सेन और दीगर क़ाइदीन की मिसाल पेश की जिन्होंने वोट देने के बाद मीडिया से बात की थी।