सुप्रीम कोर्ट ने आज एलेक्शन कमीशन को हिदायत की कि मरहला वार तौर पर इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) में एक ऐसा निज़ाम फ़राहम करें जिस के ज़रिया राय दहन्दों को हक़ राय दही के बाद रसीद भी हासिल होजाए।
2014 के इंतिख़ाबात तक अगर इस तरीका-ए-कार को रूबा अमल लाया जाये और इस तरह से मुंसिफ़ाना और आज़ादाना राय दही को यक़ीनी बनाया जा सकता है। अदालत ने ये भी हिदायत की है कि वोट वीरीफ़ायर पेपर आडीट ट्रेल (VVPAT) को मुतआरिफ़ करने मर्कज़ को माली तआवुन करना चाहिए। चीफ़ जस्टिस पी सथासीवम और जस्टिस रंजन गोगोई पर मुश्तमिल एक बेंच ने कहा कि इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में काग़ज़ी रसीद की इजराई के निज़ाम से मुंसिफ़ाना और आज़ादाना राय दही को यक़ीनी बनाया जा सकता है और किसी भी नौईयत के तनाज़ा की आजलाना यकसूई की जा सकती है।
इंतिख़ाबी मुबस्सिरीन के लिए भी रसीद के ज़रिया किसी तनाज़ा को हल करना आसान होगा। आज कल मुल्क भर की सरकारी ट्रांस्पोर्ट में टिक्टों की इजराई भी मशीन के ज़रिया की जा रही है जिस में टिकट की रक़म और मुसाफ़िर की मंज़िल का इंदिराज होता है। बिल्कुल उसी तरह राय दहिंदा ने किस उम्मीदवार के हक़ में वोट दिया है उसकी रसीद हासिल होजाएगी जो तनाज़ा के वक़्त पेश की जा सकती है।