नुमाइंदा ख़ुसूसी-हमारे प्यारे प्यारे नबी (स) की मीलाद मुबारक के मौक़ा पर गुज़शता साल हैदराबाद में जिस अंदाज़ में ख़ुशीयों और अपने महबूब आक़ा मौला से इशक़-ओ-मुहब्बत का जो इज़हार किया गया था उस की मिसाल सारे हिंदूस्तान बल्कि बर्र-ए-सग़ीर में भी कहीं नहीं मिल सकती । अमीर हो के गरीब , बचा हो कि बूढ़ा , ख़वातीन हूँ कि तालिबात हर कोई जश्न रहमतुल लिल आलमीन , राहत उल-आशिक़ीन , सिराज अलसालकेन पूरी दिलचस्पी से मना रहा था ।मुतबर्रिक फ़िज़ा , मर्हबा यह मुस्तफ़ा , मर्हबा या मुस्तफ़ा की गूंज से मुअत्तर हो चुकी थी । सारा शहर सबज़ झंडियों से आरास्ता होचुका था । शहर में बर्क़ी क़ुमक़ुमों की मुनव्वर रोशनी की सजावट देखने से एसा लग रहा था कि हमारा शहर इशक़ नबी (स) से मुनव्वर होचुका है ।
नौजवानों ने जिस अंदाज़ में जश्न ईद मीलाद उन्नबी (स) मनाया और हुज़ूर अकरम ई से वालहाना अंदाज़ में वारिफ़्तगी का सबूत दिया था सुबहान अल्लाह वो यक़ीनन काबिल-ए-सिताइश-ओ-क़ाबिल मुबारकबाद है । वैसे अल्लाह पाक ने हमारे शहर को इस बात का एज़ाज़ बख्शा है कि यहां हज़ारों आशक़ान रसूल आराम फ़र्मा हैं जब कि उल्मा मशाइख़ेन उम्मत के दिल में अज़मत मुस्तफ़ा की रोशनी मुनव्वर करने में दिन-ओ-रातमसरूफ़ हैं । मीलाद उन्नबी (सल.) के पर मुसर्रत-ओ-मुबारक मौक़ा पर शहर की कई तनज़ीमों ने ख़ून अतीया कैंपस मुनाक़िद किये थे ताकि ख़ून की कमी में मुबतला परेशान हाल मरीज़ों को बुला लिहाज़ मज़हब-ओ-मिल्लत राहत पहुंचाई जाय । चुनांचे फ़ोकस नामीतंज़ीम ने प्यारे नबी ई के मीलाद मुबारक के मौक़ा पर आसफ़िया लाइब्रेरी में ख़ून का अतीया कैंप मुनाक़िद किया था जिस में एक हज़ार मुस्लिम नौजवानों ने ख़ून का अतीयादिया । सिर्फ चार घंटों के दौरान 800 से ज़ाइद नौजवानों ने ख़ून का अतीया पेश करते हुए दुनिया को ये पैग़ाम दिया कि मुस्लमान ख़ून लेता नहीं बल्कि ख़ून देता है ।
इस कैंप में ख़ून का अतीया देने के लिये तवील कतारें देखी गएं थी । यहां तक कि कई उश्शाक रसूल को मायूस वापिस होना पड़ा । इस तरह महर आरगनाइज़ेशन की जानिब से भी चारमीनार के करीब ख़ून का अतीया कैंप मुनाक़िद किया गया था जिस में सैंकड़ों अफ़राद ने ख़ून का अतीया देते हुए अपने बिरादरान वतन को अमन और प्यार-ओ-मुहब्बत का पयाम देने में कामयाबी हासिल की । इस पर मुसर्रत मौक़ा पर उस्मानिया हॉस्पिटल , गांधी हॉस्पिटल ,अस्रा हॉस्पिटल और ज़चगी ख़ाना के मरीज़ों में मेवे जात तक़सीम किये गए थे और मरीज़ों की इयादत की गई । इस ग़ैर मामूली इक़दाम पर हमारे गैर मुस्लिम भाईयों ने मुसर्रत काइज़हार किया था । गरीब मरीज़ों ने दुआओं से नवाज़ा ।
प्यारे नबी की मीलाद मुबारक के मौक़ा को ग़नीमत जानते हुए नौजवानों ने नेक कामों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। मानसाहब टैंक के नौजवानों पर मुश्तमिल एक टीम ने क़ुरआन मजीद के 786 नुस्खे़ अपने बिरादरान वतन में तक़सीम किये । ये नुस्खे़ तेलगु ज़बान में तर्जुमा शूदा थे । हाफ़िज़ डंका की मस्जिद मुग़ल पूरा के सामने एक साहिब ख़ैर ने लोगों में बेला लिहाज़ मज़हब-ओ-मिल्लत मेवे तक़सीम किये । तो दूसरी जानिब हम ने एक उसे बा तौफ़ीक़ ख़ुदा के बंदे को भी देखा जो हुज़ूर ई की विलादत बासआदत की ख़ुशी में बड़ी ही ख़ामोशी के साथ 5000 फ़रुट जूस खरीद कर लोगों में तक़सीम कररहे थे । प्यारे नबी ई के इस इरशाद मुबारक पर कि भूकों को खाना खिलाॶ । पूरी तरह अमल करते हुए शहर में जाबजा लोगों को ख़ास कर गरबा-ए-के लिये ताम ख़ास का एहतिमाम किया गया था । बहरहाल नेकी के उसे मुनाज़िर देखे गए कि दिल से हमारे शहर के नौजवानों की सलामती-ओ-ख़ुशहाली के लिए दाएं निकल रही हैं लेकिन बाअज़ मुक़ामात पर कुछ नादां नौजवानों की अजीब-ओ-गरीब हरकतों से लोगों को भारी परेशानी का भी सामना करना पड़ा । पुराने शहर के एक मुक़ाम पर एक एसा दिल ख़राश मंज़र देखने में आया कि लारी पर डी जे साउंड सीट कर के नाअत शरीफ लगाई गई थी और मूसीक़ी पर 40 से 50 नौजवान इंतिहाई बेहूदा अंदाज़ में नागिन का रक़्स कररहे थे ।
हद तो ये थी कि जो लड़का अच्छा नाचता दूसरे नौजवान इस के मुंह में नोट ठोस रहे थे । जब कि बाअज़ नौजवान अपने साथियों और दीगर राहगीरों के चेहरे पर अरश पोत रहे थे । नौजवानों का ये रक़्स-ओ-सरूर जारी था कि इसी वक़्त 108 इमरजंसी अम्बो लिनस ट्रेन हादिसा में ज़ख़मी हुए शख़्स को लिये हॉस्पिटल की जानिब से जा रही थी लेकिन नाचने , चीखने चलाने और अरश लगाने वाले नौजवानों में से किसी ने इस जानिब तवज्जा नहीं दी । तक़रीबा 10 ता 15 मिनट सारी ट्रैफिक बशमोल 108 अम्बो लिनस ठहरी रही हालाँकि अम्बो लिनस से बार बार ऐलान किया जा रहा था कि अम्बो लिनस में एक शदीद ज़ख़मी शख़्स है जिसे हॉस्पिटल मुंतक़िल करना बहुत ज़रूरी है बाज़ू हट जाएं लेकिन नौजवानों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी । शुक्र है कि अल्लाह ने जल्द ही चंद नौजवानों को वहां भेज दिया और अल्लाह के इन नेक बंदों ने अम्बो लिनस को आगे बढ़ा दिया वर्ना ज़ख़मी शख़्स ज़ख़मों की ताब ना लाकर फ़ौत होसकता था ।
जब हम उन की फ़िल्म बंदी कररहे थे तो एक साहब ने आगे बढ़ कर हम से गुज़ारिश की कि बराए मेहरबानी उसे टेली वीज़न पर मत दखाएए । बच्चे हैं , सिर्फ रक़्स कररहे हैं । हालाँकि बेहूदा अंदाज़ में नाचने वाले इन बच्चों की उमरें 40 । 20 साल के दरमियान थीं । हम ने ये वीडियो जामिआ निज़ामीया के एक मुफ़्ती साहिब को दिखाई तो आप ने उसे देखकर बहुत अफ़सोस का इज़हार किया और आप ने फ़रमाया कि हुज़ूर की पाक विलादत बासआदत के मुबारक मौक़ा पर ग़ैरों की तरह रक़्स करना और चेहरों पर अरश मलना बाइस अफ़सोस है । तमाम नौजवानों को इस तरह की हरकात से गुरेज़ करना चाहीए और शरई हदूद में रह कर ही ईद मीलाद उन्नबी मनानी चाहीए गैर शरई उमूर से बिलकुल इजतिनाब करना चाहीए ।नीज़ इस बाबरकत मौक़ा पर कलिमा तैबा की झंडियां पूरे शहर में लगाई जाती हैं इस हवाले से ये ख़्याल रहे कि इन की बे हुर्मती ना की जाय उन के एहतिराम का मुकम्मल लिहाज़ किया जाय और इंतिज़ामीया कमेटी को चाहीए कि जलूस से पहले वालेनटरज़ को ताकीद के साथ हिदायत दे कि किन चीज़ों को करना है और किन उमूर से अहितराज़ करना है ।
इस मुबारक और ख़ुशी के मौक़ा पर अगर हम उसे फैसले अपनी ज़िंदगी के लिये करें तो कितना अच्छा हो ! (1) हज़ोरऐ की इत्तिबा में आज के बाद कभी नमाज़ ना छोड़ेंगे (2) हुज़ूर की तरह चेहरा बनाएंगे कभी दाढ़ी ना मुंडाएंगे (3) जोड़े घोड़े की रक़म नहीं लेंगे और इस अंदाज़ की तक़रीबात का बाईकॉट करेंगे (4) गुनाहों से तौबा करें वगैरह वगैरह । अल्लाह पाक हमें सहीह अंदाज़ से अपने हबीब महमदऐ की विलादत मुबारक की ख़ुशी मनाने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए । जिस से अल्लाह और इस के रसूल ख़ुश हूँ । आमीन ! ।।