इशरतजहां केस: सीबीआई की चार्जशीट में अमित शाह का नाम नहीं!

मशहूर इशरत जहां फर्जी एनकाउंटर केस में बीजेपी लीडर और गुजरात के साबिक वज़ीर अमित शाह को बड़ी राहत मिली है मिली जानकारी के मुताबिक , इस केस में सीबीआई सप्‍लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल करने वाली है और इस चार्जशीट में साबिक वज़ीर ए दाखिला अमित शाह का नाम शामिल नहीं है गौर हो कि अमित शाह गुजरात के वज़ीर ए आला नरेंद्र मोदी के खासमखास और करीबी माने जाते हैं |

उधर, इशरत जहां फर्जी एनकाउंटर मामले में सप्लीमेंट्री चार्जशीट को आखिरी शक्ल दिए जाने के बीच, सीबीआई ने वज़ारत कानून से राय मांगी है कि गुजरात के वज़ीर ए आला नरेंद्र मोदी के साथी अमित शाह को नामज़द नहीं करने की साजिश में महकमा खुफिया के ओहदेदारो के खिलाफ इस्तेगाशा (Prosecution) के लिए मंजूरी की जरूरत है या नहीं |

गौर हो कि इशरत जहां फर्जी एनकाउंटर के दौरान अमित शाह ही गुजरात के वज़ीर ए दाखिला थे सोहराबुद्दीन फर्जी एनकाउंटर केस में अमित शाह जेल भी जा चुके हैं और इशरत केस में भी उनके किरदार पर सवाल उठाए जा रहे थे लेकिन इस केस की जांच कर रही सीबीआई ने अपनी सप्‍लीमेंट्री चार्जशीट में अमित शाह का नाम न डालकर उन्हें एक तरह से क्लीन चिट दे दी है दूसरी ओर इस मुठभेड़ में आईबी अफसरों खासकर राजेंद्र कुमार के किरदार के बारे में सीबीआई कानूनी राय ले रही है यानी उनका नाम चार्जशीट में शामिल किया जा सकता है |

उधर, सीबीआई ज़राये ने कहा कि उन्होंने एनकाउंटर के पीछे की साजिश में आईबी के आफीसरो के किरदारके बारे में काफी सुबूत जुटाए हैं लेकिन इस बात को लेकर मुतजाद/ मुखालिफ ख्याल (Conflicting Views) हैं कि खुसूसी डायरेक्टर राजेंद्र कुमार (रिटायर्ड ) और दिगर तीन आफीसर पी मित्तल, एमके सिन्हा और राजीव वानखेड़े के खिलाफ इस्तेगाशा के लिए वज़ारत ए दाखिला की मंजूरी की जरूरत है या नहीं | उन्होंने कहा कि एक नजरिया यह है कि चूंकि कुमार मुबय्यना तौर पर जुर्म के वक्त नौकरी पर थे, इसलिये वज़ारत ए दाखिला से उनके खिलाफ इस्तेगाशा के लिए मंजूरी की जरूरत है |