इशरत एनकाउंटर में डीजी वंजारा को मिली बेल

गुजरात के सबसे मुतनाज़ा पुलिस ऑफिसर डीजी वंजारा जल्द ही जेल से बाहर आ जाएंगे। 2004 में कॉलेज स्टूडेंट इशरत जहां के क़त्ल मामले में उन्हें बेल मिल गई है। कोर्ट ने उन्हें कहा है कि वह गुजरात में दाखिल नही हो सकते । इशरत जहां केस में 8 पुलिस ऑफिसरों पर चार्जशीट तय हुई थी। इनमें से चार पहले ही बेल पर रिहा हो चुके हैं। जुमेरात के रोज़ वंजारा और दूसरे पुलिस ऑफिसर पीपी पांडे को भी बेल मिल गई।

2005 के सितंबर में शोहराबुद्दीन फर्जी एनकाउंटर केस में भी वंजारा को बेल मिल गई। ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ नाम से मशहूर वंजारा 8 सालों से अहमदाबाद जेल में बंद थे। वह गुजश्ता साल रिटायर हुए हैं। सोहराबुद्दीन के क़त्ल के मामले में 2007 के मार्च में वंजारा को गिरफ्तार किया गया था। तब वह डेप्युटी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस थे।

2005 में सोहराबुद्दीन अपनी बीवी कौसर बी और तुलसीराम प्रजापति के साथ आंध्र प्रदेश में एक बस में सफर कर रहे थे तभी गुजरात पुलिस ने इन्हें अगवा कर लिया था। कुछ दिनों बाद सोहराबुद्दीन और उनकी बीवी कौसर बी का क़त्ल कर दिया गया। इस मामले में तुलसीराम प्रजापति अहम गवाह थे। एक साल बाद इनका भी क़त्ल कर दिया गया । पुलिस का दावा था कि तुलसीराम प्रजापति भागने की कोशिश कर रहा था।

2004 में 19 साल की तालिबा इशरत जहां के साथ दिगर तीन लोगो के क़त्ल के मामले में भी वंजारा को मुज़रिम बनाया गया था। इन सभी की पुलिस ऑफिसरों ने गोली मार क़त्ल कर दिया था । इन पुलिस ऑफिसरों का दावा था कि ये नरेंद्र मोदी के क़त्ल का प्लान बना रहे थे।

2013 में वंजारा ने नौकरी छोड़ दी। नौकरी छोड़ने के बाद वंजारा ने नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर एक तीखे खत में उन्हें बली का बकरा बनाने का इल्ज़ाम लगाया था। नरेंद्र मोदी उस वक्त गुजरात के सीएम थे और अमित शाह रियासत के वज़ीर ए दाखिला। तब वंजारा ने साफ कहा था कि मोदी और शाह के हुक्म पर अमल के सबब पुलिस ऑफिसरों को बलि का बकरा बनाया गया।

गुजश्ता साल दिसंबर में मुंबई के कोर्ट ने अमित शाह की दरखास्त कुबूल करते हुए उन्हें सोहराबुद्दीन शेख के क़त्ल के मामले में बरी कर दिया था।