पूर्व केंद्रीय जी के पिल्लई ने रविवार को कहा कि इशरत जहां और उसके साथियों के तार लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े होने का हलफनामा ‘राजनीतिक स्तर’ पर तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने बदलवाया था।
पिल्लई ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए साक्षात्कार में बताया है कि गृह मंत्रालय ने अगस्त 2009 में सुप्रीम कोर्ट में ओरिजनल एफिडेविट दाखिल किया था। इसमें आईबी के इनपुट का हवाला देते हुए बताया गया था कि इशरत और उसके तीनों सहयोगी, जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लई, जीशान जौहर और अमजद अली राणा लश्कर के स्लीपर सेल का हिस्सा थे।
पिल्लई ने कहा कि यह हलफनामा दायर करने के एक महीने बाद तत्कालीन गृह मंत्री चिदंबरम ने संयुक्त सचिव से केस की फाइल अपने पास मंगा ली थी। पूर्व गृह सचिव ने कहा कि मुठभेड़ में मारे गए जावेद शेख और दो पाकिस्तानी नागरिक लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी थे और इशरत इस बात को जानती थी कि ‘कुछ गलत किया जा रहा है।’
पिल्लई ने कहा, ‘इशरत और जावेद उत्तर प्रदेश और यहां तक कि अहमदाबाद के लॉज और होटलों में एक जोड़े के रूप में ठहरे थे। इशरत जावेद और आतंकी संगठन को मदद कर रही थी।’
इसके पहले पिल्लई ने कहा, ‘मैं कहूंगा कि यह राजनीतिक स्तर पर किया गया।’ तत्कालीन यूपीए सरकार ने 2009 में दो महीने के भीतर दो हलफनामे दाखिल किए थे। एक में कहा गया था कि कथित फर्जी मुठभेड़ में मारे गए चार लोग आतंकवादी थे जबकि दूसरे में कहा गया था कि किसी निष्कर्ष पर पहुंचने लायक सबूत नहीं हैं।
पिल्लई ने कहा कि हो सकता है इशरत अनजाने में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के हाथों में खेल रही हो। उन्होंने इशरत के आतंकवादी रिश्तों के बारे में डेविड हेडली की ओर से दिए गए बयान की जांच कराने की वकालत की।
पूर्व गृह सचिव ने कहा कि इस बात में कोई शक नहीं कि गुजरात में कथित फर्जी मुठभेड़ में मारे गए लोगो के तार लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘वे लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य थे। वह (इशरत) जानती थी कि कुछ गलत है। वरना कोई बिनब्याही जवान मुस्लिम युवती दूसरे पुरुषों के साथ नहीं गई होती।’ यह पूछे जाने पर कि क्या यह एक फर्जी मुठभेड़ थी, इस पर पिल्लई ने कहा कि सीबीआई पहले ही इस मुद्दे की छानबीन कर चुकी है और आरोप-पत्र दाखिल कर चुकी है।
Source:ZN
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