नई दिल्ली। गृह मंत्रालय 2004 में हुए इशरत जहां मुठभेड़ मामले से जुड़ी फाइलों की फिर से जांच करने जा रहा है। गृह मंत्रालय ने यह कदम पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई के उस दावे के बाद किया गया है जिसमें पिल्लई ने कहा था कि इशरत जहां मामले में गृह मंत्रालय ने जो हलफनामा दिया था वो पूर्व गृह मंत्री पी चिदम्बरम के कहने पर बदला गया था। पूर्व केन्द्रीय गृह सचिव जी.के. पिल्लई का कहना है कि राजनैतिक कारणों से गृह मंत्रालय ने इशरत से जुड़ा ऐफिडेविट बदला था। जानकारी के मुताबिक गृह मंत्रालय इशरत से जुड़ी हुई फाइलों की जांच कर रहा है।
ये पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि पूर्व गृह सचिव ने क्या नए ऐफिडेविट पर दस्तखत करने से पहले अपना ऐतराज दर्ज करवाया था या नहीं। और अगर नहीं तो किस आधार पर नए ऐफिडेविट पर दस्तखत किए। वैसे इशरत मामले से जुड़ी कई फाइलें गायब हैं जिन्हें ढूंढा जा रहा है।चिदंबरम ने स्वीकारा दावा पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने स्वीकार किया है कि उन्होंने हलफनामे में बदलाव किए थे। चिदंबरम ने कहा है कि बदलाव सही किए थे। चिदंबरम ने कहा कि वह बदलावों की जिम्मेदारी लेते हैं। हालांकि, साथ ही उन्होंने कहा कि हलफनामे में बदलाव के लिए पिल्लई भी बराबर के जिम्मेदार हैं। हलफनामा स्पष्ट नहीं था चिदंबरम ने कहा कि दूसरा हलफनामा इसलिए देना पड़ा क्योंकि पहला हलफनामा स्पष्ट नहीं था। उन्होंने इस पर निराशा जताई कि पिल्लई ने इस मामले से खुद को अलग कर लिया। पूर्व गृह मंत्री ने कहा कि पिल्लई भी इसके लिए बराबर के जिम्मेदार हैं। हालांकि, इस बारे में पिल्लई ने कहा क्योंकि फाइल तत्कालीन गृह मंत्री (चिदंबरम) के पास से आई थी, इसलिए मैंने बदलावों का कोई विरोध नहीं किया। दो सालों से वहीं अटका वैसे सीबीआई ने इशरत जहां मामले में आरोप पत्र तो दायर कर दिया है लेकिन आरोप अभी तय नहीं हुए हैं। इसपर गृह मंत्रालय ने सीबीआई को आईबी के रजिंदर कुमार और बाक़ी के अफसरों के खिलाफ मामला दर्ज करने की इजाजत भी नहीं दी थी क्योंकि उनके खिलाफ मंत्रालय को सीबीआई द्वारा एकत्रित किए सबूत नाकाफी लगे थे। यानी मामला दो सालों से वहीं अटका पड़ा है जहां से शुरू हुआ था।