इशरत जहाँ मामले से जुड़े अधिकारी की जानकारी देने से गृह मंत्रालय का इंकार

दिल्ली: देश में जब से आरटीआई एक्ट लागू हुआ है तब से लेकर आज तक न जाने कितने खुलासे इन आरटीआई अर्ज़ियाँ के जरिये जनता और आरटीआई ऐक्टिविस्ट्स ने किए हैं। ऐसे में आरटीआई सरकार और सरकारी विभागों में काम करने वालों के लिए गले कि फांस बन चुका है। लेकिन आज के दौर में अगर आप सोचते हैं की आरटीआई के जरिये आप कोई भी जानकारी निकलवा लेंगे तो आप गलत हैं जनाब।

याद करिये साल 2014 जिस साल देश में विकास की कसमें खा मौजूदा केंद्र सरकार सत्ता में आई थी। सरकार के आने के बाद से जहाँ देश का ताना बाना बदल चुका है वहीँ मंत्रालयों के तेवर भी बदल चुके हैं। कानून होते हुए भी लोगों को इन्साफ के लिए आवाज़ ऊंची करनी पड़ती है और फिर भी इन्साफ की गारंटी नहीं मिलती। इन्साफ तो दूर की बात आज के वक़्त में आरटीआई से जानकारी भी नहीं मिलती।

इस बात का खुलासा हुआ है गृहमंत्रालय से आरटीआई के जरिये पूछे गए एक सवाल के जवाब में। सवाल था कि इशरत जहाँ एनकाउंटर मामले में गुम हुई फाइलों की जाँच कर रहे अधिकारी को किस बिनाह पर 2 महीने का सर्विस एक्सटेंशन दिया गया है?? आरटीआई में इस फैसले को लेकर ली गई नोटिंग्स की प्रतियां भी मांगी थी जोकि देने से मंत्रालय ने साफ़ इंकार कर दिया।

चूँकि सवाल इशरत जहां मामले से जुड़ा हुआ था और सरकार के लिए यह मामला काफी वक़्त से मुसीबत बना हुआ है तो इस मामले ने मंत्रालय ने जवाब न देना ही बेहतर समझा और आरटीआई के जवाब में लिख कर भेजा गया- “कैबिनेट पैनल के प्रस्ताव के लिए सहायक होने के नाते यह खुलासा नहीं किया जा सकता है”।

ऐसा पहली बार नहीं है कि देश में आरटीआई को लेकर मंत्रालय या विभाग एप्लिकेंट को इस तरह का जवाब दे रहे हैं। पिछले दो-एक सालों से लोगों को कभी मुस्लिम तो कभी इस बात का बहाना बनाकर जवाब नहीं दिया जा रहा कि सवाल पूछने वाला देश का नागरिक नहीं लग रहा।