नई दिल्ली, 2 जूलाई: इशरत जहां एनकाउंटर केस में आईबी के स्पेशल डायरेक्टर राजेंद्र कुमार के बारे में सीबीआई बैकफुट पर आ गई है। इत्तेला मिली है कि सीबीआई (CBI) अपनी स्टेटस रिपोर्ट में ‘सफेद दाढ़ी’ और ‘काली दाढ़ी’ के बारे में कोई जिक्र नहीं करेगी।
सीबीआई इशरत जहां एनकाउंटर केस में 4 जुलाई को गुजरात हाई कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दायर करेगी। सीबीआई अफसरों ने बताया कि इस रिपोर्ट में ‘सफेद दाढ़ी’ और ‘काली दाढ़ी’ नहीं है। अब तक माना जा रहा था कि सीबीआई इन दोनों तरह की दाढ़ियों की आड़ में गुजरात के वज़ीर ए आला नरेंद्र मोदी और साबिक वज़ीर ए दाखिला ( रियासती) अमित शाह पर शिकंजा कस सकती है।
आखिर क्या है दाढ़ियों का राज: चर्चे के मुताबिक एनकाउंटर में शामिल रहे एक पुलिस वाले ने सीबीआई को बयान दिया है कि इस केस में गिरफ्तार आईपीएस अफसर डी. जी. वंजारा ने आई. बी. के उस वक्त के जॉइंट डायरेक्टर राजेंद्र कुमार को ‘सफेद दाढ़ी’ और ‘काली दाढ़ी’ से एनकाउंटर की इजाजत मिलने की बात कही थी। सीबीआई ज़राए ने बताया कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ कोई डायरेक्ट लिंक नहीं मिला है।
उन्होंने यह भी बताया कि वज़ीर ए आला के दफ्तर में वंजारा के फोन कॉल और दाढ़ी के कलर से मोदी को मुलजिम बनाना आसान नहीं है। दूसरी ओर, सीबीआई इस एनकाउंटर में आईबी के स्पेशल डायरेक्टर राजेंद्र कुमार को मुल्ज़िम बनाने के मामले में भी बैकफुट पर नजर आ रही है।
15 जून 2004 को इस एनकाउंटर के दौरान राजेंद्र कुमार अहमदाबाद में आईबी के जॉइंट डायरेक्टर थे। उन पर यह इल्ज़ाम है कि उन्होंने गुजरात पुलिस के साथ मिलकर इस फर्जी एनकाउंटर की साजिश रची थी। इस बारे में राजेंद्र कुमार का तर्क है कि उन्होंने आईबी अफसर होने के नाते गुजरात पुलिस को लश्कर-ए-तैबा के दहशतगर्दो का इनपुट दिया था।
एनकाउंटर के बारे में उन्होंने अपने किरदार से इनकार किया है। इशरत एनकाउंटर केस में एक पुलिस वाले ने सीबीआई को बयान दिया है कि इशरत जहां और उसके तीन साथियों को गुजरात पुलिस ने पकड़ा हुआ था, जिनसे पूछताछ करने राजेंद्र कुमार आए थे।
उसके बाद ही चारों को अहमदाबाद के बाहरी इलाके में ले जाकर मार दिया गया था। राजेंद्र कुमार ने कस्टडी में पूछताछ से भी इनकार किया है।
सीबीआई बैकफुट पर क्यों आई: इस मामले में सीबीआई और आईबी के बीच तनातनी के बाद नैशनल सिक्युरिटी अडवाइजर शिवशंकर मेनन और साबिक होम सेक्रेटरी आर. के. सिंह ने दखल दिया था। आर. के. सिंह के साथ सीबीआई के डायरेक्टर रंजीत सिन्हा और आईबी के डायरेक्टर सैयद आसिफ इब्राहिम की मीटिंग भी हुई थी। उसके बाद वज़ारत ए दाखिला के अफसरों ने यह स्टैंड लिया कि आईबी की काडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी होने की वजह से उनकी परमिशन के बगैर सीबीआई राजेंद्र कुमार के खिलाफ चार्जशीट दायर नहीं कर सकती।
इसके बाद सीबीआई बैंकफुट पर आ गई है। अब सबकी निगाहें 4 जुलाई को सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट पर लगी हैं।
ऐफिडेविट में क्या: इस केस में वज़ारत ए दाखिला ने पहले ऐफिडेविट में इशरत और उसके साथियों को लश्कर के दहशतगर्द बताया था। पी.चिदंबरम के वज़ीर ए दाखिला बनने के बाद दूसरे हलफनामे में इससे इनकार किया गया। इस जांच की देखरेख कर रहे गुजरात हाई कोर्ट ने सीबीआई को हिदायत दी है कि मरने वालों के दहशतगर्द होने या न होने को दरकिनार कर एनकाउंटर की सच्चाई का पता लगाया जाए।
बशुक्रिया: नव भारत