इशरत जहां केस सी बी आई के हवाले

अहमदाबाद, ०२ दिसम्बर (यू एन आई) गुजरात हाईकोर्ट ने आज 2004-ए-के इशरत जहां एनकाऊंटर केस की तहक़ीक़ात की ज़िम्मेदारी सैंटर्ल ब्यूरो आफ़ इन्वेस्टिगेशन (सी बी आई) के तफ़वीज़ की है और ख़ुसूसी तहक़ीक़ाती टीम (ऐस आई टी) को हिदायत दी है कि वो इस केस में ताज़ा एफ़ आई आर दर्ज करॆ।

मुंबई की कॉलिज तालिबा इशरत जहां और दीगर तीन को जून 2004-ए-में यहां फ़र्ज़ी एनकाऊंटर के ज़रीया हलाक किया गया था। इस केस की तहक़ीक़ात हवाले करने के इख़्तयारात का जायज़ा लेने के बाद कि आया ये केस सी बी आई या क़ौमी तहक़ीक़ाती एजैंसी (आई एन आई ई) और रियास्ती पुलिस के हवाले किया जाये।

हाईकोर्ट ने इस सिलसिला में तमाम मुताल्लिक़ा अफ़राद से राय तलब की इस के बाद जस्टिस जयंत पटेल और जस्टिस अभीलाश कुमारी पर मुश्तमिल एक डीवीझ़न बंच ने केस की तहक़ीक़ात को सैंटर्ल एजैंसी के सपुर्द करने का फ़ैसला किया है। हाईकोर्ट को बज़ाहिर गुजरात पुलिस पर भरोसा नहीं था। नरेंद्र मोदी हुकूमत में पुलिस की कारकर्दगी पर शुबा ज़ाहिर करते हुए अदालत ने ये केस सैंटर्ल तहक़ीक़ाती एजैंसी के सपुर्द किया है।

बंच ने ऐस आई टी चेयरमैन आर आर वर्मा को भी हिदायत दी है कि वो केस के सिलसिला में एक ताज़ा एफ़ आई आर दर्ज करें। डीवीजन बंच ने 21 नवंबर को ख़ुसूसी तहक़ीक़ाती टीम (ऐस आई टी) की जानिब से इशरत जहां और दीगर 4 की हलाकत को फ़र्ज़ी एनकाऊंटर क़रार देने के बाद क़तल के इल्ज़ाम पर ताज़ा तहक़ीक़ात का हुक्म दिया था।

इशरत जहां और दीगर चार को एक मुनज़्ज़म तरीक़ा से क़तल किया गया था जिस की पहले एफ़ आई आर में निशानदेही की गई थी। मर्कज़ी हुकूमत की जानिब से पैरवी करते हुए ऐडीशनल सालीसीटर जनरल पंकज चमपनीरी ने कहा कि इस केस की तहक़ीक़ात क़ौमी तहक़ीक़ाती एजैंसी एन आई ए के हवाले करने में कोई मसला हाइल नहीं है लेकिन ये एजैंसी सिर्फ उन आई ए क़ानून में दर्ज जराइम की तहक़ीक़ात का इख़तियार रखती है।

अगर इस केस में ताज़ा एफ़ आई आर एन आई ए के मुक़र्ररा जराइम की फ़हरिस्त में शामिल नहीं हैं तो ऐसी सूरत में इन आई ए की जानिब से इस तहक़ीक़ात की ज़िम्मेदारी क़बूल करना मुम्किन नहीं होगा जबकि सी बी आई के पास मुख़्तलिफ़ मुक़द्दमात का पहले बोझ है।

फ़िलहाल वो कई केसों को निमट रही है। इस के पास ऑफीसर्स की कमी है। इस के बावजूद भी अगर अदालत सी बी आई के ओहदेदारों पर ही भरोसा करती है तो वो इस मक़सद के लिए फ़ैसला कर सकती है। दूसरी जानिब रियास्ती ऐडवोकेट जनरल कमल तरीवीदी ने कहा कि केस की तहक़ीक़ात एन आई ई, सी बी आई या रियास्ती पुलिस के हवाले की जा सकती है।

लेकिन इस बात को नोट किया जाना चाहीए कि मौजूदा ऐस आई टी के चेयरमैन आर वर्मा और रुकन मोहन झा ने टीम से राहत हासिल करने की ख़ाहिश ज़ाहिर की है। तीसरे रुकन सतीश वर्मा को भी तहक़ीक़ात का सामना है। इन के ख़िलाफ़ भी मुख़्तलिफ़ इल्ज़ामात हैं लिहाज़ा मौजूदा ऐस आई टी इस केस की तहक़ीक़ात के मुतहम्मिल नहीं होसकती। क़ब्लअज़ीं रियास्ती हुकूमत ने मेट्रोपोलैटिन मजिस्ट्रेट एस पी तमान के ज़रीया अदालती तहक़ीक़ात का हुक्म दिया था जिस ने दो साल क़बल ही अपनी रिपोर्ट दाख़िल की है।

इस रिपोर्ट में भी इशरत जहां एनकाऊंटर को फ़र्ज़ी क़रार दिया गया और कहा गया कि इन नौजवानों का मुनज़्ज़म तरीक़ा से क़तल किया गया है। चार आई पी एस ओहदेदारों के बिशमोल कई पुलिस ओहदेदार इस फ़र्ज़ी एनकाऊंटर में मुबय्यना तौर पर मुलव्वस हैं।

चंद गवाहों ने भी ऐस आई टी के सामने अपने ब्यानात से इन्हिराफ़ किया ही। गुज़श्ता साल हाईकोर्ट में ही इशरत जहां, जावेद शेख़ उर्फ़ प्रणेश पिलाई, अमजद अली राना और ज़ीशान जौहर के मुबय्यना फ़र्ज़ी एनकाऊंटर केस की तहक़ीक़ात कराने के लिए ऐस आई टी को मुक़र्रर किया था। इशरत जहां की वालिदा शमीमा कौसर और गोपी नाथ पिलाई (जावेद शेख़ के वालिद) ने फ़र्ज़ी एनकाऊंटर के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट में दरख़ास्तें दाख़िल की हैं।