नई दिल्ली, 5 जुलाई: (पी टी आई) गुजरात क्राईम ब्रांच के ओहदेदारों ने अपने हथियारों का इस्तेमाल करते हुए 9 साल क़ब्ल मुबय्यना फ़र्ज़ी एनकाउंटर के दौरान इशरत जहां और दीगर 3 पर अंधा धुंद तरीक़े से 70 राउंड फायरिंग की । इस एनकाउंटर को एतबार का रुख़ देने की कोशिश करते हुए क्राईम ब्रांच के कमांडो मोहन कलासावा ने मुबय्यना तौर पर AK56 राइफ़ल से फायरिंग की ।
बताया जाता है कि ये राइफ़ल ज़िमनी इंटेलीजेंस ब्यूरो ने फ़राहम की थी । एनकाउंटर के लिए पुलिस की सरकारी जिप्सी गाड़ी का इस्तेमाल किया गया । सी बी आई ज़राए ने कहा कि तहक़ीक़ाती एजेंसी ने अपनी चार्जशीट में इन तमाम तफ़सीलात को शामिल किया है ।
ज़राए का कहना है कि सी बी आई ने चार्जशीट में ये बताया है कि क्राईम ब्रांच ने AK56 को हासिल किया था और बादअज़ां अमजद अली राणा पर निशाना लगाया जो इशरत और दीगर के साथ 15 जून 2004 को हलाक हुए । एनकाउंटर अंजाम देने वाली टीम के दो ऑफीसर्स आई के चौहान और कमांडो मोहन नानजी ने इशरत जहां जावेद शेख़ अमजद अली राणा और ज़ीशान जौहर इन चारों अफ़राद पर फायरिंग करने से इनकार कर दिया था ।
इस मसले पर पुलिस टीम में झगड़ा भी हुआ । तू तू मैं में के दौरान मोहन कलासावा और तरूण बुरूत ने उनके हथियार छीन लिए और इशरत जहां के इलावा दीगर तीन पर अंधा धुंद फायरिंग कर दी ।
अहमदाबाद की अदालत में सी बी आई के इस बयान के बाद कि इशरत जहां मुक़द्दमा में इंटेलीजेंस ब्यूरो के ओहदेदारों के किरदार के बारे में तहक़ीक़ात जारी हैं, मर्कज़ी वज़ीर-ए-दाख़िला सुशील कुमार शिंदे ने आज कहा कि जो अफ़राद मुबय्यना फ़र्ज़ी एनकाउंटर करने के ख़ाती हैं, उन्हें सज़ा ज़रूर मिलनी चाहीए।
अदालत ने सी बी आई के फ़र्द-ए-जुर्म पर तब्सिरा की ख़ाहिश करने पर शिंदे ने पी टी आई से कहा कि हक़ायक़, हक़ायक़ हैं। ख़ातियों को सज़ा मिलनी ही चाहीए। शिंदे का बयान वज़ारत-ए-दाख़िला के ओहदेदारों के इस मौक़िफ़ की बिना पर अहमीयत रखता है कि इंटेलीजेंस ब्यूरो के स्पेशल डायरेक्टर राजिंदर कुमार और फ़र्ज़ी एनकाउंटर मुक़द्दमा में मुलव्वस दीगर 3 ओहदेदारों के ख़िलाफ़ काफ़ी सुबूत मौजूद नहीं हैं।
सी बी आई ने कल कहा था कि 19 साला इशरत जहां को 2004 में फ़र्ज़ी एनकाउंटर में हलाक कर दिया गया था। सी बी आई ने इस मुक़द्दमा में 7 पुलिस ओहदेदारों के ख़िलाफ़ फ़र्द-ए-जुर्म पेश किया है और कहा कि गुजरात पुलिस और सब़्सीडियरी इंटेलीजेंस ब्यूरो के दरमियान ये मुशतर्का कार्रवाई है।
मर्कज़ी वज़ारत-ए-दाख़िला का ये मौक़िफ़ बरक़रार है कि सी बी आई के पास इंटेलीजेंस ब्यूरो के ओहदेदार राजिंदर कुमार के मुबय्यना फ़र्ज़ी एनकाउंटर मुक़द्दमा में मुलव्वस होने के लिए काफ़ी सुबूत मौजूद नहीं हैं। ताहम सी बी आई ने वज़ारत-ए-दाख़िला से इस के ज़ेर-ए-कंट्रोल आई पी एस ओहदेदारों के ख़िलाफ़ मुक़द्दमा दायर करने की इजाज़त हनूज़ तलब नहीं की है।
दरीं असना समाजवादी पार्टी के क़ाइद कमाल फ़ारूक़ी ने कहा कि 2004 का इशरत जहां मुक़द्दमा शक-ओ-शुबा से बालातर फ़र्ज़ी एनकाउंटर का मुक़द्दमा है। सी बी आई के फ़र्द-ए-जुर्म से चीफ़ मिनिस्टर गुजरात नरेंद्र मोदी और इस दौर के उन के वज़ीर-ए-दाख़िला अमीत शाह का इस एनकाउंटर में किरदार बेनकाब हो जाएगा।
कमाल फ़ारूक़ी ने कहा कि इशरत जहां को पहले तो गिरफ़्तार किया गया था बादअज़ां पुरासरार हालात में हलाक कर दिया गया। जिस के नतीजे में ये मशकूक एनकाउंटर पेश किया। उन्होंने कहा कि ये बात भी उजागर हो चुकी है कि आला सतही ओहदेदारों ने इस दौर के रियास्ती वज़ीर-ए-दाख़िला (अमीत शाह) और चीफ़ मिनिस्टर (नरेंद्र मोदी) पर इल्ज़ामात आइद किए थे।
उन्होंने कहा कि हम सिर्फ़ इतना कह सकते हैं कि सी बी आई के दाख़िल करदा फ़र्द-ए-जुर्म पर क्या कार्रवाई की जा सकती है। इंसानी हुक़ूक़ कारकुनों और मुक़द्दमा के एक दरख़ास्त गुज़ार बृंदा ग्रोवर ने कहा कि मुख़्तलिफ़ तहक़ीक़ाती महकमों ने तहक़ीक़ात के ज़रीया साबित कर दिया है कि ये एक फ़र्ज़ी एनकाउंटर था।
जावेद शेख़ के ख़ानदानी मुशीर क़ानूनी मुकल सिन्हा ने कहा कि सी बी आई के फ़र्द-ए-जुर्म से नामवर सियासतदानों और पुलिस ओहदेदारों के नामों का अफ़शा भी मुम्किन है जो इस फ़र्ज़ी एनकाउंटर में मुलव्वस थे। जावेद शेख़ भी इस फ़र्ज़ी एनकाउंटर के महलोकीन में शामिल है।
19 साला इशरत जहां 15 जून 2004 को दीगर 3 अफ़राद के साथ मुबय्यना तौर पर क्राईम ब्रांच के ओहदेदारों की टीम के हाथों अहमदाबाद के मुज़ाफ़ात में हलाक कर दी गई थी।