नई दिल्ली: साबिक़ एन्टेलिजेन्स ब्यूरो के स्पेशल डायरेक्टर राजिंदर कुमार जिनके ख़िलाफ़ फ़र्द-ए-जुर्म पेश कर दिया गया है जो इशरत जहां के जाली एनकाउंटर मुक़द्दमे के सिलसिले में है, मर्कज़ी इत्तेलाती कमीशन से रुजू हो कर ख़ाहिश कर चुके हैं कि सीबीआई और विज़ारत क़ानून के दरमियान मुरासलत और इस मुक़द्दमे में अटार्नी जनरल की राय से उन्हें मतला किया जाये।
उन्होंने हक़ इत्तेलात क़ानून के तहत एक दरख़ास्त महिकमा पर्सोनल-ओ-ट्रेनिंग नूडल मिनिस्ट्री को पेश की है जो मर्कज़ी तहक़ीक़ाती महिकमा के मामलात से निमटती है। महिकमा ने कहा कि हक़ इत्तेलात क़ानून के तहत महिकमा को इस्तिस्ना हासिल है कि वो मालूमात का इन्किशाफ़ ना करे और उन्हें रोक दे।
सीबीआई ने इल्ज़ाम आइद किया था कि साबिक़ आई बी ओहदेदार जो 2013 में ख़िदमात से सबकदोश हो चुके हैं, क़ानून-ए-ताज़ीरात हिंद की दफ़आत मुजरिमाना साज़िश, क़तल, अग़वा , हबस-ए-बेजा और क़ानून असलाह की दफात के तहत इस मुक़द्दमे में मुल्ज़िम क़रार पाते हैं क्योंकि उन्होंने अटार्नी जनरल की राय का इंतेज़ार नहीं किया था।
मर्कज़ी विज़ारत-ए-दाख़िला ने उन पर और दीगर18 ओहदेदारों पर मुक़द्दमा दायर करने की इजाज़त देने से इनकार कर दिया था|