अहमदाबाद, 29 दिसंबर: (पीटीआई) गुजरात हाईकोर्ट ने आज 2004 के इशरत जहां फ़र्ज़ी एनकाउंटर केस की सी बी आई तहक़ीक़ात में नाक़िसपन और लापरवाही के साथ रिपोर्ट तैयार करने और सुस्त रफ़्तारी का सख़्त नोट लेते हुए सरज़निश की। हाईकोर्ट के सामने पेश करदा मौक़िफ़ पर मबनी रिपोर्ट का तफ़सीली जायज़ा लेने के बाद गुजरात हाईकोर्ट के डीवीजन बंच के जस्टिस जयंत पटेल और अभीलाश ने कहा कि अदालत में पेश करदा रिपोर्ट बादियुन्नज़र में सी बी आई ने काबिल लिहाज़ काम अंजाम नहीं दिया है।
अदालत ने सी बी आई से कहा कि वो ये बताए कि आख़िर इस ने तहक़ीक़ात में क्या पेशरफ़्त की है?। जब सी बी आई ने अदालत से रुजू होकर ख़ाहिश की थी कि वो रियास्ती हुकूमत को हिदायत दे कि आई पी एस ओहदादार सतीश वर्मा की ख़िदमात को मज़ीद छः माह की तौसीअ करे।
सी बी आई ने कल ही इशरत जहां फ़र्ज़ी एनकाउंटर केस की अपनी तहक़ीक़ात से मुताल्लिक़ मौक़िफ़ पर मबनी रिपोर्ट पेश की है, जिस पर जजस ने नाराज़गी ज़ाहिर की। इससे ज़ाहिर होता है कि जजस इस रिपोर्ट से मुतमईन नहीं हैं। जजस ने कहा कि आप ने रिपोर्ट में क्या दिखाया है?। यही कि ख़ुसूसी तहक़ीक़ाती टीम ने इससे क़बल जो काम किया है, वही काम आप भी पेश कर रहे हैं।
इस तहक़ीक़ात में कोई मुतबादिल पेशरफ़्त नहीं हुई है। इशरत जहां केस की तहक़ीक़ात की ज़िम्मेदारी इस अदालत की जानिब से लिए जाने के एक साल बाद इस में कोई क़ाबिल लिहाज़ पेशरफ़्त नहीं हुई है। जस्टिस पटेल ने सी बी आई से कहा कि आप ये ख़्याल ना करें कि आप मनमानी तरीक़े से तहक़ीक़ात अंजाम दे सकते हैं, आपके लिए कोई वक़्त का ताय्युन नहीं किया गया।
इस रिपोर्ट को अदम इत्मीनान बख्श क़रार देते हुए बंच ने सी बी आई को हिदायत दी है कि वो 10 जनवरी तक दूसरी रिपोर्ट दाख़िल करे, जिसमें तहक़ीक़ात की तारीख़वार तफ़सीलात पेश हों। हम ये जानना चाहते हैं कि आख़िर आपने तारीख़वार क्या काम अंजाम दिया है?।
मुंबई की 19 साला इशरत जहां के एनकाउंटर से मुताल्लिक़ केस में अहमदाबाद क्राईम ब्रांच ओहदेदारों ने 15 जून 2004 को चंद बेक़सूर अफ़राद का क़त्ल-ए-आम किया था, जिनमें प्रणेश पिलाई उर्फ़ जावेद शेख़, ज़ीशान जौहर और अमजद अली राना शामिल हैं। गुजरात पुलिस का दावा है कि इशरत जहां और दीगर लश्कर-ए-तयेबा के कारकुन थे और उन्हें चीफ़ मिनिस्टर नरेंद्र मोदी के क़त्ल के लिए रवाना किया गया था, लेकिन हाईकोर्ट ने ख़ुसूसी तहक़ीक़ाती टीम तशकील दी थी, जिसने इस एनकाउंटर को फ़र्ज़ी क़रार दिया था।
अदालत ने आज सी बी आई से कहा कि एस आई टी से तहक़ीक़ात की नक़ल सी बी आई के हवाले करने के बाद आपकी ज़िम्मेदारी थी कि आप अपनी तहक़ीक़ात में संजीदगी का मुज़ाहिरा करते। इसी दौरान इशरत जहां की वालिदा शमीमा कौसर की जानिब से पैरवी करते हुए वकील वृन्दा ग्रोवर ने दरख़ास्त दाख़िल करते हुए हाईकोर्ट से ख़ाहिश की कि वो इस तहक़ीक़ात की निगरानी करे।
दरख़ास्त पर आइन्दा समाअत 11 जनवरी मुक़र्रर की गई है।