इशरत जहां फ़र्ज़ी एनकाउंटर मुक़द्दमा

अहमदाबाद 1 मई ( पी टी आई )सी बी आई की एक ख़ुसूसी अदालत ने एक दरख़ास्त नज़र-ए-सानी पर अपना फ़ैसले महफ़ूज़ कर दिया जिस में आई पी ऐस ओहदेदार पी पी पांडे की गिरफ़्तारी का वारंट जारी करने की गुज़ारिश की गई है जो 2004 के इशरत जहां और दीगर तीन अफ़राद के मुबय्यना जाली एनकाउंटर मुक़द्दमे का मुल्ज़िम है ।

ख़ुसूसी सी बी आई जज गीता गोपी ने समाअत मुकम्मल की और कहा कि वो फ़ैसले का ऐलान दो मई को करेंगी । सी बी आई के डिप्टी सुप्रिटेंडेंट‌ पुलिस और एनकाउंटर मुक़द्दमे के तहक़ीक़ाती ओहदेदार जी मनी ने फ़ैसला को चैलेंज करते हुए एक दरख़ास्त नज़र-ए-सानी पेश की है ।

क़ब्लअज़ीं फ़ैसला एडीशनल चीफ़ जोडीशल मजिस्ट्रेट सी बी आई अदालत ने 25 अप्रैल को सुनाते हुए ऐडीशनल डी जी पी (क्राईम ) पी पी पांडे का गिरफ़्तारी वारंट जारी करने के सी बी आई के मांग‌ को खारिज‌ कर दिया था । पांडे 1980 बयाच के गुजरात कैडर के आई पी ऐस ओहदेदार हैं।

वो जवाइंट पुलिस कमिशनर अहमदाबाद 2004 में थे जबकि इसी साल 15 जून को इशरत जहां और उनके साथ जावेद शेख़ उर्फ़ प्रणेश प्ले , अमजद अली अकबर अली राना और ज़ीशान जौहर एक एनकाउंटर में हलाक कर दिए गए थे । सी बी आई ने अपनी दरख़ास्त नज़र-ए-सानी में पांडे का गिरफ़्तारी वारंट क़ानून-ए-ताज़ीरात हिंद की दफ़ा 73 के तहत जारी करने की गुज़ारिश की थी और दावे किया था कि ओहदेदार सी बी आई से गुरेज़ कररहे हैं और महिकमा केलिए अदालत से मदद हासिल करने ज़रूरी होगया है ।

सी बी आई के वकील एल डी तीवारी ने कहा कि 2 सुमन अली उल-तरतीब 22 अप्रैल और 24 अप्रैल को जारी किए गए थे लेकिन उन्होंने इनका कोई जवाब नहीं दिया । जब अहमदाबाद में उनकी क़ियामगाह पर धावा किया गया तो उनके फ़र्ज़ंद ने पांडे का पता बताने से इनकार कर दिया । इनका सरकारी मोबाईल फ़ोन भी नाक़ाबिल रसाई था । इन हालात में सी बी आई के मुशीर क़ानूनी ने कहा कि पांडे को तफ़तीश केलिए हिरासत में लेने में कैसे कामयाबी हासिल की जा सकती थी जो बहुत ज़रूरी थी।