इशरत माम‌ले में मुल्ज़िम पुलिस वालों की दरख़ास्त पर SC करेगा समाअत

नई दिल्ली: सुप्रीमकोर्ट इशरत जहां मामले में क्रीमिनल केस का सामना कर रहे गुजरात के कुछ पुलिस अहलकारों के मामले को मंसूख़ करने से मुताल्लिक़ दरख़ास्त की समाअत के लिए तैयार हो गया है इस मामले में अमरीका की जेल में बंद दहशतगर्द डेविड हेडली की अहम गवाही के बाद सुप्रीमकोर्ट ने इस बारे में समाअत की बात कही है हेडली ने अपनी गवाही में कहा था कि इशरत जहां लश्कर की ख़ुदकुश हमला-आवर था|

इस मामले में हेडली की गवाही के बाद सियासी और क़ानूनी तौर पर काफ़ी कुछ तबदीली आई है सियासी एतबार से जहां बीजेपी अब कांग्रेस को लगातार‌ उसके लिए कठह‌रे में खड़ा कर रही है वहीं कुछ पहले हुक्काम ने भी इसकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं इसी मामले में रियासत के कुछ सीनियर पुलिस अफ़्सर जेल की सलाख़ों के पीछे हैं|

याद‌ रहे कि पाकिस्तानी नज़ाद अमरीकी दहशतगर्द डेविड हेडली ने मुंबई की एक अदालत को बताया था कि इशरत दहशतगर्द तंज़ीम लश्करे तैय‌बा की रुकन थी ऐडवोकेट एमएल शर्मा ने जब इस मामले पर फ़ौरी समाअत की अपील की तो चीफ़ जस्टिस टी एस ठाकुर और जज यवीव ठीक की बेंच ने कहा कि उसे दर्ज होने दिजिए फिर हम उसे देखेंगे|

शर्मा ने कहा कि हेडली का बयान अहम है क्योंकि ये इस बात को फ़ैसलाकुन तौर पर क़ायम करता है कि इशरत लश्कर-ए-तैयबाकी रुकन थी तसादुम में मुबय्यना किरदार को लेकर उस वक़्त के डीआईजी डीजी वंजारा समेत गुजरात पुलिस अहलकार मुंबई की एक अदालत में इस्तिग़ासा का सामना कर रहे हैं|

दरख़ास्त में 26/11 मुंबई हमलों की साज़िश में शामिल हेडली की जानिब से हाल ही में दर्ज कराए गए बयानात का हवाला दिया गया पेटीशन में कहा गया कि अब हक़ीक़त ग़ैर मुतनाज़े हैं कि गुजरात पुलिस ने इशरत जहां समेत जिन चार लोगों को मारा था, वो दहशतगर्द थे पटीशन में कहा गया कि अदालती कार्य‌वाई और 26/11 के मुंबई हमले के लिएलश्कर-ए-तैयबाके साथ मिलकर साज़िश रचने वाले डेविड हेडली की तरफ़ से वीडियो कान्फ़्रेंस के ज़रिये मुंबई की ख़ुसूसी अदालत में दर्ज कराए गए बयान के मुताबिक़, गुजरात पुलिस की तरफ़ से साल 2004 मे इशरत जहां समेत जिन चार लोगों को मारा गया था, वो पाकिस्तानी दहशतगर्द तंज़ीम लश्कर-ए-तैयबासे वाबस्ता थे और उन्हें उस वक़्त के वज़ीर-ए-आला नरेंद्र मोदी के क़तल का काम सौंपा गया था|

दरख़ास्त में अदालत से दरख़ास्त की गई कि गुजरात पुलिस अहलकारों और दीगर के ख़िलाफ़ सीबीआई की जानिब से दर्ज की गई  में उठाए गए इक़दामात और मुजरिमाना कार्य‌वाई को बंद करने की हिदायत दी जाये पटीशन में उसे अदालती हक़ायक़ और हेडली के सबूतों को देखते हुए ग़ैर आईनी क़रार दिया गया दरख़ास्त में अदालत से कहा गया कि वो ये हिदायत जारी करे कि एक दहशतगर्द को मारना हिन्दुस्तानी क़ानून के तहत जुर्म नहीं है इस के साथ ही ये भी दरख़ास्त की गई कि इन्साफ़ के मुफ़ाद को देखते हुए रियासत के मुताल्लिक़ा पुलिस अहलकारों को मुनासिब मुआवज़ा दिया जाये|

इस में कहा गया कि सुप्रीमकोर्ट और गुजरात हाईकोर्ट के सामने हक़ हक़ीक़त छिपाने और इशरत जहां मामले से मुंसलिक हक़ायक़ के बारे में झूटा हलफ़नामा देने के लिए उस वक़्त के वज़ीर-ए-दाख़िला और सीबीआई डायरेक्टर के ख़िलाफ़ झूटे सबूत (तौहीन की कार्य‌रवाई के लिए ख़ुद-कार तरीक़े नोटिस लिया जाये|