इसराईली मसनूआत के बाईकॉट की मुहिम ने असर दिखाना शुरू कर दिया

ग़ज़ा पर इसराईल के वहशयाना हमलों और बेक़सूर-ओ-नहत्ते फ़लस्तीनीयों के क़त्ल-ए-आम के ख़िलाफ़ सारी दुनिया में ब्रहमी पाई जाती है और इसी ब्रहमी के बाइस खासतौर पर मुस्लिम दुनिया में इसराईली अश्या और मसनूआत के बाईकॉट की अपीलें की गई थीं।

इन अपीलों ने अपना असर दिखाया और बाईकॉट के नतीजे में इसराईली मईशत मुतास्सिर होने लगी है। इसराईल के वहशतनाक हमलों और इस के ग़ासिबाना अज़ाइम के ख़िलाफ़ इसराईली अश्या के बाईकॉट के नतीजे में मईशत के मुतास्सिर होने का ख़ुद इसराईल के वज़ीर फाइनैंस ने भी एतेराफ़ करलिया है।

कहा जा रहा हके इस बाईकॉट के नतीजे में इसराईली मईशत पर तबाहकुन असरात हो रहे हैं। माह रमज़ान उल-मुबारक के मौके पर सारी दुनिया में इसराईली खजूर दूध और दुसरे अश्या का बड़े पैमाने पर बाईकॉट हुआ था। दूसरी अश्या के बाईकॉट का भी सिलसिला हनूज़ जारी है ।

मुसलमानों ने एक दूसरे को तरग़ीब देते हुए ईद-उल-फ़ित्र के मौके पर इसराईली दूध वग़ैरा के इस्तेमाल से गुरेज़ की भी मुहिम चलाई थी जो इंतिहाई बेहतर रही और ये तास्सुर ग़लत साबित होगया कि मामूली अश्या के बाईकॉट या चंद अफ़राद के बाईकॉट से इसराईल की मईशत मुतास्सिर नहीं होगी।

अब ख़ुद इसराईल ये एतेराफ़ करने पर मजबूर होगया हैके दुनिया भर में उस की अश्या के बाईकॉट के उसकी मईशत पर मनफ़ी असरात मुरत्तिब हो रहे हैं। ताहम ये इसराईल की हट धर्मी है कि वो इस नुक़्सान के बावजूद बेक़सूर और नहत्ते फ़लस्तीनीयों को बमबारी का निशाना बनाते हुए अमला उनकी नसल कुशी में मसरूफ़ है।

अब जबकि इबतिदाई कोशिशों के मुसबत असरात मुरत्तिब होने लगे हैं तो अक़्वाम आलम और खासतौर पर मुसलमानों और आलिम इस्लाम की ये ज़िम्मेदारी है कि इसराईली मसनूआत के बाईकॉट में मज़ीद शिद्दत पैदा की जाये और उसकी मईशत को मुम्किना हद तक मुतास्सिर किया जाये ताके ममलकत मुसलमानों के एहतेजाज से वाक़िफ़ होसके।