इसराईल के फ़ैसले पर नार्वे को अफ़सोस

नार्वे की हुकूमत ने ग़र्ब अरदन में तीन गै़रक़ानूनी यहूदी बस्तीयों को तस्लीम करने के इसराईली हुकूमत के फ़ैसले पर अफ़सोस का इज़हार किया है।

नार्वे के वज़ीर-ए-ख़ारजा जोन्स गाहर स्टोर ने एक ब्यान में कहा है कि मक़बूज़ा इलाक़ा में यहूदी बस्तीयों की तामीर और तौसीअ बैन-उल-अक़वामी क़वानीन की ख़िलाफ़वर्ज़ी और मसला के दो रियास्ती हल की राह में हाइल एक बड़ी रुकावट है। इसराईल की हुकूमत ने दो दिन क़ब्ल तीन यहूदी बस्तीयों को क़ानूनी तौर पर तस्लीम करने का ऐलान किया था।

इसराईल की तरफ़ से उन्हें तस्लीम किए जाने का मतलब ये होगा कि उन्हें ग़र्ब अरदन में तीन नई बस्तीयों का दर्जा मिल जाएगा। उन्हों ने कहा कि गुज़श्ता 20 साल में पहली मर्तबा है कि इसराईली हुकूमत ने आउट पोस्ट्स को बस्तीयों का दर्जा दिया है और मुझे तशवीश है कि ये इसराईल की पालिसी में तब्दीली ना हो और ये दूसरी आउट पोस्ट्स के लिए एक मिसाल के तौर पर इस्तेमाल की जाए।