इसराईल जंगी जराइम का मुर्तक़िब

फ़लस्तीनी अवाम का ख़ून एक कीमीयाई हथियार है तो वो फ़लस्तीन में मौजूद हैं। फ़लस्तीन में कीमीयाई हथियार मौजूदगी के मुताल्लिक़ किए गए एक सवाल का बरजस्ता जवाब देते हुए सफ़ीर फ़लस्तीन बराए हिंद जनाब अदली शाबान सादिक़ ने ये जुमला कहा। उन्हों ने बताया कि अगर फ़लस्तीनी अवाम का ख़ून कीमीयाई हथियार है तो वो फ़लस्तीन में मौजूद हैं।

फ़लस्तीनीयों को हिंदुस्तान से काफ़ी तवक़्क़ुआत वाबस्ता हैं। फ़लस्तीनी अवाम के लिए हिंदुस्तान का जो मौक़िफ़ है इस में मज़ीद बेहतरी की तवक़्क़ो हम कर रहे हैं और हमें उम्मीद है कि हिंदुस्तान फ़लस्तीनी अवाम के मुताल्लिक़ अपने मौक़िफ़ में मज़ीद इस्तिहकाम पैदा करेगा। जनाब अदली शाबान सादिक़ सफ़ीर फ़लस्तीन बराए हिंद ने आज हैदराबाद में मुनाक़िदा एक प्रेस कान्फ़्रैंस से ख़िताब के दौरान ये बात कही।

उन्हों ने बताया कि हिंदुस्तान के इसराईल से ताल्लुक़ात मुनक़ते होना नाकाबिले तसव्वुर है चूँकि दोनों ममालिक के दरमयान मआशी ताल्लुक़ात उस्तिवार हो चुके हैं और उन ताल्लुक़ात का तुरंत ख़ात्मा नामुमकिन नज़र आता है। सफ़ीर फ़लस्तीन बराए हिंद ने इस बात पर हैरत का इज़हार किया कि मआशी ताल्लुक़ात तो समझ में आरहे हैं लेकिन हुकूमते हिन्द की जानिब से ये कहा जाना कि इसराईल से हिंदुस्तान के तहज़ीबी ताल्लुक़ात हैं, नाक़ाबिले फ़हम है।

जनाब अदली शाबान सादिक़ ने प्रेस कान्फ़्रैंस से ख़िताब के दौरान बताया कि इसराईल जंगी जराइम का इर्तिकाब कर रहा है इस के बावजूद अक़वामे मुत्तहिदा और अमरीका की ख़ामूशी और इसराईल की पुश्तपनाही से ये वाज़ेह हो रहा है कि फ़लस्तीनी अवाम को उन के बुनियादी हुक़ूक़ से महरूम किया जा रहा है।

उन्हों ने बताया कि जारीया जंगी सूरते हाल का आग़ाज़ 7 जुलाई को हुआ और पहली मर्तबा ग़ाज़ा पर इसराईल ने हमला किया और ताहाल 1800 अफ़राद इसराईली हमलों में जांबाहक़ हो चुके हैं, जिन में मासूम शहरीयों की तादाद काफ़ी ज़्यादा है। उन्हों ने बताया कि दुनिया भर में इंसानी हुक़ूक़ की तंज़ीमें इस बात को क़ुबूल कर चुकी हैं कि ग़ाज़ा का मुहासिरा ग़ैर इंसानी है और ग़ाज़ा दुनिया की सब से बड़ी खुली जेल बना हुआ है।

जनाब सैयद वक़ार उद्दीन कादरी ने 1967 की क़रारदाद जिस में इसराईल का मक़्बूज़ा इलाक़ों से तख़लिया शामिल है, उसे रूबा अमल लाने का मुतालिबा करते हुए कहा कि येरूशलम, मग़रिबी किनारा और ग़ाज़ा पट्टी से इसराईल का मुकम्मल तख़लिया किया जाना चाहीए ताकि फ़लस्तीनी अवाम के हुक़ूक़ की पामाली को रोका जा सके।

उन्हों ने क़िब्ला अव्वल के तहफ़्फ़ुज़ के लिए आलमे इस्लाम को मुत्तहिद होने का मश्वरा देते हुए कहा कि मसअला फ़लस्तीन इंसानियत का मसअला है लेकिन मस्जिद अक्सा का मसअला आलमे इस्लाम के मुसलमानों का मसअला इस लिए मुसलमानों को अपने एहसासात का इज़हार करना चाहीए। इस मौक़ा पर जनाब डॉक्टर मीर अकबर अली ख़ांन ने भी मुख़ातब किया।