अक़वाम-ए-मुत्तहिदा, 25 जनवरी (पी टी आई) हिंदूस्तान ने इसराईल से ख़ाहिश की है कि वो मग़रिबी किनारा और मशरिक़ी यरूशलम में नौ आबादियाती सरगर्मी तर्क कर दे। हिंदूस्तान ने कहा कि ऐसे इक़दाम से बुनियादी तौर पर नए हक़ायक़ तशकील पाएंगे और दो मुमलिकती हल को ख़तरा पैदा हो जाएगा जो इसराईल फ़लस्तीन तनाज़ा का वाहिद हल है।
अक़वाम-ए-मुत्तहिदा की सलामती कौंसल के खुले मुबाहिस में शिरकत करते हुए जिसका उनवान मशरिक़ वुस्ता की सूरत-ए-हाल बिशमोल फ़लस्तीनी तनाज़ा था। हिंदूस्तान के मुस्तक़िल मंदूब बराए अक़वाम-ए-मुत्तहिदा हरदीप सिंह पूरी ने कहा कि ज़ेर-ए-क़ब्ज़ा फ़लस्तीनी इलाक़ों में तरक्कियात पाकिस्तानी मक़सद के लिए भी इंतिहाई मुज़िर हैं।
उन्होंने कहा कि इसराईल की जानिब से वसीअ पैमाने पर बैन-उल-अक़वामी मुज़म्मत के बावजूद नौ आबादयाती सरगर्मीयों में शिद्दत पैदा करने से नए हक़ायक़ मंज़रे आम पर आ रहे हैं जिनसे तनाज़ा के दो मुमलिकती हल को ख़तरा पैदा हो गया है।
उन्होंने कहा कि हम नौआवादियाती तामीराती तर्क करने के लिए इसराईल पर दबा डालने वाले दीगर ममालिक के साथ शामिल हैं ताकि फ़लस्तीनीयों को मुज़ाकरात की मेज़ पर लाया जा सके। उन्होंने अंदेशा ज़ाहिर किया कि इसराईल और फ़लस्तीन के दरमियान गुज़श्ता दो साल से ज़्यादा मुद्दत से रास्त बातचीत नहीं हो सकी है।
मशरिक़ ए वुस्ता की अमन कार्रवाई तात्तुल का शिकार है जो इस इलाक़ा के मुफ़ाद में नहीं है। उन्होंने कहा कि नौ आबादियात, शाहराहों की नाकाबंदी और मुताल्लिक़ा क़बज़ा करने आबादी के लिए मुसलसल मुश्किलात-ओ-मसाइब की वजह बन रहे हैं और उनसे फ़लस्तीनी सरकारी महकमों की कारकर्दगी पर मनफ़ी असर मुरत्तिब हो रहा है।
फ़लस्तीन को शदीद मआशी बोहरान का सामना है जिससे फ़लस्तीनी सरकारी महकमों का क़ियाम और उनकी पेशरफ्त ख़त्म हो चुकी है। ग़ाज़ा की छः साला नाकाबंदी लाज़िमी ख़िदमात , मआशी सरगर्मीयों और इनफ़रास्ट्रक्चर के क़ियाम को मुतास्सिर कर रही है, इसलिए इसराईल को ये सरगर्मीयां फ़ौरी तर्क कर देनी चाहिए।