तेलंगाना मुद्दे पर पार्लियामेंट की कार्यवाही को रोकने वाले एम पी (MPs) को बाहर का रास्ता दिखाने के बाद नए रियासत की तशकील की तैयारी तेज हो गई है। इस सिलसिले में मर्कज़ी वज़ारत ए दाखिला ने कैबिनेट नोट तैयार कर लिया है और इसी हफ्ते इसे वज़ारत ए कानून के पास भेजा जाएगा। वज़ीर ए दाखिला सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि अगले 20 दिन में इसे कैबिनेट के सामने गौर करने के लिए भेज दिया जाएगा।
वज़ारत ए दाखिला के एक सीनीयर आफीसर ने बताया कि तेलंगाना पर कांग्रेस वर्किंग कमेटी के फैसले को पूरी तरह से इसमें शामिल किया गया है। उनके मुताबिक, उन्हें कांग्रेस वर्किंग कमेटी के फैसले का पूरी तरह से अमल करने का हुक्म है। जाहिर है इसमें तेलंगाना में सीमांध्र के दो अजलो (जिलों) को शामिल नहीं किया जा रहा है।
इसी तरह से तजवीज कैबिनेट नोट में हैदराबाद को अगले 10 साल के लिए दोनों रियासतों की ज्वाइंट कैपिटल बनाया गया है। सितंबर में कैबिनेट से मुहर लगने के बाद के तीन महीने में अलग तेलंगाना बनाने की अमल पूरी कर ली जाएगी। इसमें रियासती असेम्बली से इस मुद्दे पर राय लेने के इलावा पार्लियामेंट से मुताल्लिक बिल को पास कराना शामिल है। जाहिर है हुकूमत संसद के सरमायी इजलास (Winter Session) में तेलंगाना तशकील का बिल पेश कर देगी। सीनीयर आफीसर ने कहा कि नए रियासत की तशकील एक तवील अमल (long process) है। झारखंड, छत्तीसगढ़ व उत्तराखंड बनाने में तकरीबन तीन साल लगे थे, लेकिन अगले साल अप्रैल-मई में लोकसभा इंतेखाबात को देखते हुए पूरा अमल दिसंबर तक पूरी कर लिया जायेगा।