बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज उन केसों का जायज़ा लेते हुए कहा कि ऐसी ख्वातीन जो ग़ुस्से के आलम में अपने पार्टनर्स या ब्वॉय फ्रेंड्स के ख़िलाफ़ इस्मत रेजी का मुआमला दर्ज करवाई हैं
इसके बाद अपनी शिकायत से अलग होजाती हैं उनके ख़िलाफ़ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। जस्टिस साधना जाधव ने बताया कि हाईकोर्ट में हालिया दिनों में ऐसे कई मुआमलात ज़ेर-ए-समाआत आए जहां शिकायत करने वाली ख़वातीन ये बयान देती हैं कि उन के पार्टनर या ब्वॉय फ्रैंड ने शादी करने के वादा पर उसके साथ नाजायज़ तौर पर जिस्मानी रिश्ता क़ायम किया।
उन्होंने कहा कि कई बार ऐसा होता है कि दिनों पार्टनर्स की एक दूसरे से नोक झोंक होजाती है जो वक़्ती होती है हालाँकि जिन्सी इख़तिलात केलिए ख़वातीन भी रज़ामंद रहती हैं लेकिन बाद में किसी भी छोटी बात पर ब्रहम होकर ख़वातीन अदालत का रुख़ करती हैं और बाद में जब उनका ग़ुस्सा ठंडा होजाता है तो वो अपनी शिकायत से दस्तबरदार भी होजाती हैं ।
अब ये एक रिवायत बनती जा रही है जिस से समाज को ग़लत पैग़ाम मिल रहा है। जस्टिस साधना जाधव ने एक 35 साला शख़्स की ज़मानत से पहले गिरफ़्तारी की दरख़ास्त की समाअत के दौरान ये रिमार्कस किए जो उस शख़्स के ख़िलाफ़ एक 42 साला ख़ातून एक्साइज़ इंसपेक्टर ने दायर की थी जिस ने दावा किया कि उस शख़्स ने उसके साथ शादी का वादा कर के उसके साथ जिस्मानी ताल्लुक़ क़ायम किया और बाद में किसी और से शादी करली जो उसे धोका देने के मुतरादिफ़ है।
जस्टिस साधना जाधव ने मज़कूरा शख़्स की ज़मानत से पहले गिरफ़्तारी की दरख़ास्त मंज़ूर करूं और कहा कि सिर्फ़ ख़ातून के बदला लेने के जज़बे की तसकीन केलिए वो मज़कूरा शख़्स को पुलिस तहवील में नहीं दे सकतीं।