इस्मत रेज़ि को रोकने सख़्त क़वानीन मर्कज़ के ज़ेर-ए-ग़ौर

कोटाइम । 2 जनवरी: दिल्ली इजतिमाई इस्मत रेज़ि केस को होलनाक वाक़िया क़रार देते हुए वज़ीर-ए-दिफ़ा ए के अनटोनी ने आज कहा कि मर्कज़ी हुकूमत , ख़वातीन के ख़िलाफ़ बढ़ते जराइम को रोकने और इस्मत रेज़ि के वाक़ियात में शामिल‌ ख़ातियों को सख़्त तरीन सज़ा देने के लिए क़ानून बनाने पर ग़ौर कर रही है।

जस्टिस जे ऐस वर्मा कमेटी रिपोर्ट के मौसूल होते ही इस्मत रेज़ि के ख़िलाफ़ क़वानीन को सख़्त तरीन बनाया जाएगा। अनटोनी ने कहा कि दिल्ली में जो कुछ हुआ, वो एक अलमीया है और इंतिहाई घिनोना जुर्म है। ख़ातियों को सख़्त तरीन सज़ा मिलनी चाहीए। ये मेरी शख़्सी राय है और में मजमूई तौर पर अवाम के मुतालिबे की हिमायत करता हूँ।

मुमताज़ समाजी मुसल्लेह और बानी नायर सरविस सोसाइटी की 136 वीं यौम-ए-पैदाइश तक़ारीब का इफ़्तेताह करने के बाद वज़ीर-ए-दिफ़ा अनटोनी ने कहा कि दिल्ली वाक़िये के ख़िलाफ़ समाज को एहतेजाज और रद्द-ए-अमल ज़ाहिर करने दीजिए। हमारी आँखों के सामने ये सब कुछ होरहा है, में नहीं समझता कि अवाम की ये बरहमी बहुत जल्द पस-ए-मंज़र में चली जाएगी।

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि मर्कज़ी हुकूमत जल्द से जल्द वर्मा कमेटी की सिफ़ारिशात को रूबा अमल लाएगी। जैसे ही ये रिपोर्ट हुकूमत को मिलेगी, अमल दरआमद किया जाएगा। उन्होंने कहा कि क़ानून , अदलिया और पुलिस ही जराइम को रोक नहीं सकती, बल्कि ख़वातीन के ख़िलाफ़ जराइम को रोकने के लिए समाजी तहरीक ज़रूरी है।

हुकूमत ने 23 दिसम्बर को जस्टिस रिटायर्ड वर्मा साबिक़ चीफ़ जस्टिस औफ़ इंडिया की क़ियादत में एक कमेटी तशकील दी है। ये कमेटी फ़ौजदारी क़ानून में इमकानी तरमीमात पर ग़ौर करेगी और ऐसे वाक़ियात में ख़ातियों और मुजरिमों के ख़िलाफ़ आजलाना इंसाफ़ और सख़्त तरीन सज़ा फ़राहम करने की सिफ़ारिश करेगी।

हर शहरी (मर्द-ओ-ख़ातून) का ये फ़र्ज़ है कि वो एक ऐसा माहौल पैदा करे जहां पर ख़वातीन अपने घरों में स्कूलों, आम मुक़ामात और काम की जगह पर ख़ुद को पूरी तरह महफ़ूज़ तसव्वुर करसके। ख़वातीन की सलामती को यक़ीनी बनाने के लिए ना सिर्फ़ सख़्त क़वानीन की ज़रूरत है बल्कि समाजी बेदारी और पुरज़ोर तहरीक की ज़रूरत भी है और ये तहरीक पहले ही हिंदूस्तान में शुरू होचुकी है।

ना सिर्फ़ सियासी पार्टीयां बल्कि समाजी तंज़ीमें और एन जी औ ने भी इस तहरीक में अहम रोल अदा किया है। अवाम में बेदारी पैदा करने के लिए समाज की इजतिमाई ज़िम्मेदारी है कि वो अपने हिस्से के तौर पर तहरीक चलाईं।