* मुफ़्ती मुहम्मद राशिद आज़मी , मुफ़्ती सलमान मंसूरपूरी और मुफ़्ती मुहम्मद अबदुलमुग़नी मज़ाहिरी के बयानात
हैदराबाद । सदर सिटी जमियत उलमा हैदराबाद मुफ़्ती मुहम्मद अबदुल मुग़नी मज़ाहिरी की सदारत में मस्जिद मेराज कुर्मा गौड़ा सईदाबाद में मौजुदा हालात में इसलामिक कोर्ट का क़याम वक़्त की ज़रूरत , अहमियत और फाईदें के उनवान पर जल्सा किया गया । जिस से मुल्क के मशहुर उल्मा किराम ने बयान किया ।
जलसे कि शुरुआत मौलाना क़ारी अबदुल बारी की क़िरात और हाफ़िज़ मुहम्मद इर्फ़ान की नात शरीफ से हुआ । मुफ़्ती राशिद आज़मी उस्ताज़ हदीस व तफ़सीर दार-उल-उलूम देवबंद , ने ईसलामिक कोर्ट की अहमियत , फाइदें और ज़रूरत पर बहुत ही अच्छा बयान किया ।
मौलाना ने कहा कि दीनदारी सिर्फ यही नहीं है कि हमारी नमाज़ और दुसरी इबादातें शरीयत के मुताबिक़ होंजाएं बल्कि दीनदारी ये भी है कि हम अपने मसलों का दीन की रोशनी में क़ुरान और हदीस के आईने में हल करने वाले बन जाएं ।निजी मस्लें हों , तलाक़ और कुला के हो अंदरूनी हों या बैरूनी बहरहाल तमाम मसलों का हल क़ुरान और हदीस की रहनुमाई में होना चाहीए ।
उल्मा किराम मुसलमानों के मस्लों का हल बिलकुल क़ुरान और हदीस की रोशनी में हल करें और इस में किसी किस्म की कोताही हरगिज़ हरगिज़ ना करें । मुसलमान अपने मस्लें और हालात उलमा किराम और मुफ़्ती साहिबान के सामने पेश करें ।
मुफ़्ती सलमान मंसूरपूरी मुफ़्ती मद्रेसा जामिआ कास्मिया शाही मुरादाबाद ने कहा कि ज़िंदगी के हर शोबे में हमें इस्लाम क्या हिदायत देता है हमें क्या करना चाहीए और हम क्या कर रहे हैं । इस बात को समझाने के लिये हम इस जलसे में आए हैं । जहां भी चंद लोग रहे हैं वहां पर किसी भी मामले में इख़तिलाफ़ बहु जरूरी चीज़ है ।
इस्लामी तर्ज़ यही है कि अगर मुसलमानों में कुछ इख़तिलाफ़ होजाए तो उन के मस्लों का हल किया जाए । इसलामिक कोर्ट में जिन उसूल पर फैसला होता है वो अह्कम उल-हाकमीन के तैयार किए हुए हैं ।
मुफ़्ती मुहम्मद अबदुल मुग़नी मज़ाहिरी सदर सिटी जमीयत उल्मा हैदराबाद ने अपने सदारती बयान मेंकहा कि आजकल अदालतों में अपने मुक़द्दमें ले जाने में हमारा पाँच तरह से नुक़्सान होता है । इस के ख़िलाफ़ मुफ़्ती साहिबान और उल्मा किराम के ज़रीये इस्लामिक अदालत के निज़ाम से रुजू होने में अल्लाह और रसूल का ख़ौफ़ होता है । आख़िरत का ध्यान रहता है तो झूट के बजाए सच्चाई से काम लेने की तौफ़ीक़ होती है और तोहमतें और इल्ज़ाम लगाने कि बजाए हकिकतें जाहिर होती है ।
नफ़रतों के बजाए मुहब्बतें नसीब होती हैं इस लिए तमाम मुसलमानों को चाहीए कि अपने घरेलू झगडें और मस्लें में निज़ाम शरीयत को तरजीह दें और उलमा किराम पर भरोसा कर के शरई हल को तलाश करें और बखु़शी क़बूल कर के दुनिया और आख़िरत का फ़ायदा उठाएं ।
मौलाना मुहम्मद अब्दुल कवी नायब नाज़िम मजलिस इलमिया आंधरा प्रदेश , मौलाना बरकत उल्लाह क़ासिमी अमीर शरीयत आंधरा प्रदेश मौलाना बरकत उल्लाह क़ासिमी अमीर शरीयत की दुआ पर जलसा खतम हुआ ।।