इस्लामी बैंकिंग असासे जात 2013 में 1.8 खरब डॉलर्स के निशाने को पार कर लेने का इम्कान

दुनिया भर में इस्लामी बैंकिंग को ज़बरदस्त फ़रोग़ हासिल हो रहा है । सूद से पाक बैंकिंग के इस निज़ाम ने दुनिया के बेशतर ममालिक को ये सोचने पर मजबूर किया है कि दुनिया में मआशी इन्हेतात से जो इक्तेसादी बोहरान पैदा हुआ वो दरअसल सूदी निज़ाम के बाइस ही हुआ है ऐसे में महफ़ूज़ सरमायाकारी के लिए इस्लामी बैंकिंग और फायनेंस से बढ़ कर कोई मुतबादिल नहीं ।

हाल ही में जारी की गई एक रिपोर्ट में इस्लामी बैंकिंग की तेज़ रफ़्तार तरक़्क़ी पर तब्सिरा करते हुए बताया गया कि इस्लामी बैंकिंग के सरमाया में सालाना 17 फ़ीसद शरह रिकार्ड की जा रही है और उम्मीद है कि 2013 में इस्लामी बैंकिंग असासाजात 1.8 खरब डॉलर्स के निशाने तक पहूंच जाएंगे ।

एर्न्स्ट ऐंड यंग्स वर्ल्ड इस्लामी बैंकिंग कॉम्पटेटिवनेस रिपोर्ट 2013 के मुताबिक़ आलमी सतह पर काम करने वाली कमर्शियल बैंकों के साथ इस्लामी बैंकिंग के असासाजात में साल 2011 के दौरान 1.3 खरब डॉलर्स का इज़ाफ़ा हुआ । रिपोर्ट में बताया कि गुज़शता चार बरसों में इस्लामी बैंकिंग की शरह 19 फ़ीसद दर्ज की गई ।

इन असासा जात में से 84 फ़ीसद सनअती असासाजात हैं । रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि रिवायती बैंक सिस्टम की बनिसबत इस्लामी बैंकिंग में तेज़ी से तरक़्क़ी हो रही है और उसकी रफ़्तार रिवायती बैंकिंग शोबा से 50 फ़ीसद ज़्यादा है । ख़ासकर सऊदी अरब , मलेशिया , क़तर , तुर्की और इंडोनेशिया के मार्केट्स में इस्लामी बैंकिंग नुक़्ता उरूज पर पहूंच चुकी है ।

इस साल ई ऐंड वाई ने ई वाई इस्लामी बैंकिंग यूनीवर्स का आग़ाज़ किया है जो इस्लामी बैंकिंग की अहम मार्केट में इस सनअत के मुज़ाहिरा का पता लगाने में कामयाब रही इसने बताया कि 2011 में इस मार्केट का मजमूई जी डी पी 5 खरब डॉलर्स रहा । और इस बात की पेश कियासी की जा रही हैं कि 2014 में इसके असासे जात 2 खरब डॉलर्स के निशाने को भी उबूर कर लेंगे ।