इस्लामी क़वानीन, फ़ित्रत इंसानी के ऐन मताब

बीदर /26 अक्टूबर ( सियासत डिस्ट्रिक्ट न्यूज़ ) मुस्लिम मुआशरा में जहां बहुत सारी कमज़ोरियां पाई जाती हैं वहीं मुआशरती और ख़ानदानी ज़िंदगी में भी अहकाम इलाही की पैरवी के बजाए-ए-अक्सर सोसाइटी में राइज रस्म-ओ-रिवाज को इख़तियार करलिया जाता है जिस के नतीजा में मुस्लिम ख़ानदान बेशुमार मुश्किलात-ओ-मसाइब से दो-चार है । इन का हल सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम मुआशरा को अहकाम इलाही के मुताबिक़ इस्लामी मुआशरा बनाने में मुज़म्मिर है । ये बात मौलवी मुहम्मद फ़हीम उद्दीन रुकन मजलिस शौरी कर्नाटक ने मस्जिद दस्तगीर शाह पर गेट बीदर में जमात-ए-इस्लामी हिंद बीदर की जानिब से मुनाक़िदा इजतिमा बउनवान मिसाली इस्लामी ख़ानदान में बताया और कहा कि इस्लाम एक मिसाली इस्लाम ख़ानदान की तामीर-ओ-तशकील चाहता है । जिस में वालदैन के हुक़ूक़-ओ-फ़राइज़ , औलाद की तालीम-ओ-तर्बीयत , मियां बीवी के ख़ुशगवार ताल्लुक़ात नज़ाआत-ओ-इख़तिलाफ़ात में मुनासिब हल , इसी तरह वारिसों में जायदाद की तक़सीम , क़तल-ए औलाद पर पाबंदी , निकाह को आसान बनाने की तलक़ीन , निकाह में इंतिख़ाब का मयार , महर की अदायगी , इसराफ़ फुज़ूलखर्ची से बचने की ताकीद , रिश्तेदारों को मनोत करने की एहमीयत और इस का तरीक़ा उन्हें जाने माने और उन पर अमल किए बगै़र पुरअमन पुरसुकून , पुरकैफ़ , ख़ुशगवार और मिसाली इस्लामी ख़ानदान का ख़ाब कभी शर्मिंदा ताबीर नहीं होसकता । जनाब सय्यद साजिद सलीम ने मुताला क़ुरआन देते हुए बताया कि इस्लाम दीन फ़ित्रत है । इस लिए इस के तमाम क़वानीन फ़ित्रत इंसानी के ऐन मुताबिक़ हैं जब कभी इंसानों ने इन क़वानीनसे रुगिरदानी की उन्हें नुक़्सान उठाना पड़ा । दौर-ए-हाज़िर में ख़ानदानों के बिखरने की असल वजह इस्लामी क़वानीन से दूरी-ओ-इन्हिराफ़ है । कोई भी ख़ानदान उसी वक़्त मज़बूत-ओ-मुस्तहकम , मिसाली और ख़ुशगवार होसकता है । जब ज़ोजीन में हम आहंगी हो सब से ज़्यादा मज़बूत रिश्ता शौहर बीवी का ही है क्योंकि इसी से तमाम रिश्ते वजूद में आते हैं । मौलाना मुहम्मद यूसुफ़ कन्नी , नाज़िम इलाक़ा ने अपने इख़ततामी ख़िताब में तमाम तक़ारीर पर तबसरा करते हुए कहा कि इंसानों ने अपने मुआमलात को बेदीनी और मज़हब से दूरी की बुनियाद पर हल करने की कोशिश की है जिस की वजह से उन की समाजी ज़िंदगी तबाह-ओ-बर्बाद हुई और ख़ानदान का शीराज़ा बुरी तरह मुंतशिर हुआ है । ज़रूरत इस बात की है कि अपने इन्फ़िरादी-ओ-इजतिमाई मुआमलात को दरुस्त करने और समाज में अमन-ओ-अमान को आम करने केलिए इस्लाम को राहनुमा बनाया जाय । जनाब मुहम्मद मुअज़्ज़म अमीर मुक़ामी ने जमात-ए-इस्लामी हिंद बीदर ज़रूरीयात-ओ-तक़ाज़े और जनाब सय्यद जमील अहमद हाश्मी ने जमात-ए-इस्लामी हिंद क़ुरआन-ओ-सुन्नत की रोशनी में के के उनवानात पर इज़हार-ए-ख़्याल किया । जनाब मुहम्मद मक़सूद अली , अबदालजमील और ख़ुसरो ने तरन्नुम में हदया नाअत-ओ-हमद पेश की । इजतिमा का आग़ाज़ हाफ़िज़ अबैदुल्लाह की क़िरात कलाम पाक से हुआ । जनाब मुहम्मद आसिफ़ उद्दीन ने इज़हार-ए-तशक्कुर किया । कन्वीनर के फ़राइज़ जनाब मुहम्मद आरिफ़ उद्दीन मुआविन अमीर मुक़ामी ने अंजाम दिए । बिरादर मुहम्मद बिलाल बिस्वा कल्याण की दुआइया नज़म पर इजतिमा इख़तताम को पहूँचा.