इस्लाम् कि सरबुलन्दी कॆ लिए मोताहद हॊ जाने मुस्लमानो कॊ तल्कीन

नारायण खेड़ 03 जनवरी (सियासत डिस्ट्रिक्ट न्यूज़) मुमताज़ आलम दीन मौलाना मुहम्मद अबदुर्रहीम जामई सगरी ज़िला यादगीर् कर्नाटक ने कहा कि मज़हब इस्लाम एक आलमगीर और आफ़ाक़ी मज़हब है जो अमन और सलामती का पैग़ाम देता है। और
अल्लाह की किताब क़ुरआन मजीद सारे आलम के बनी नौ इंसानों के लिए एक मुकम्मल ज़ाबता हयात और मशाल राह है। अल्लाह तबारक-ओ-ताला ने हुज़ूर स० अ० अलैहि वसल्लम को सारी कायनात का नबी आख़िर-ऊज़-ज़मा बनाकर मबऊस फ़रमाया ताकि सारे आलम में रहने और बसने वाले इंसानों को हिदायत का रास्ता दिखा सकें। मुस्लमानों को चाहीए कि वो अल्लाह और इस के
रसूल स0अ0 व्0 के बताए हुए उसूलों पर अमल पैरा हो जाएं और नमाज़ों की पाबंदी करें, सब्र-ओ-तहम्मुल से काम लें। एक दूसरे पर लॉन तान ना करें और बुग़ज़, अदावत, हसद, जलन से एहितराज़ करें। आपस में ख़ुलूस, मुहब्बत और उलफ़त को प्रवान चढ़ाए और आपस में इत्तिहाद पैदा करें और इस्लाम की तालीमात को आम करने के लिए कमरबस्ता हो जाएं ताकि ख़ुद भी बहिश्त में दाख़िल हो सकें और दूसरों के लिए भी नजात का ज़रीया बन सकें।मौलाना मुहम्मद अबदुर्रहीम जामई कल शाम यक्म जनवरी को बाद नमाज़ इशा जमइयतुल अहलहदीस नारायण खेड़ के ज़ेर-ए-एहतिमाम नारायण खेड़ मैं मुनाक़िदा बउनवान मज़हब इस्लाम और दुनियावी ज़िंदगी एक ख़िताब आम को मुख़ातब कररहे थे। जिस की सदारत अमीर जमईयत अहलहदीस नारायण खेड़-ओ-ज़िला मेदक मौलवी मीर अहमद अली ने की और आग़ाज़ हाफ़िज़ अबदुल हई की क़रा॔त कलाम पाक से हुआ। जलसा की कार्रवाई मौलवी अतीकुर्रहमान ने चलाई। मौलाना मुहम्मद अबदुर्रहीम जामई ने अपने सिलसिला तक़रीर को जारी रखते हुए कहा कि दौर-ए-हाज़िर में मुस्लमानों की अक्सरीयत मग़रिबी कल्चर को अपना रही है। जिस की वजह से मुस्लमान बिलख़सूस नौजवान मुस्लिम तबक़ा दीन इस्लाम से दूरी इख़तियार करता जा रहा है।

इसी लिए उम्मत मुस्लिमा पर ये ज़िम्मेदारी आइद होती है कि नौजवान नस्ल में अमर बिलमारुफ़ और नही अनिनमुन्कर दावत इल अल्लाह का पैग़ाम पहुंचाएं ताकि नौजवानों में मक़सद हयात से मुताल्लिक़ शऊर बेदार हो सके। तमाम मुस्लमानों पर ये ज़िम्मेदारी आइद होती है कि वो गिरोह बंदीयों, आपसी इख़तिलाफ़ात, मसलकी इख़तिलाफ़ात और आपसी रंजिशों को बालाए ताक़ रखते हुए जसद वाहिद की तरह मुत्तहिद होकर इस्लाम की सरबुलन्दी के लिए तैयार हो जाएं। और उखुवत और भाई चारगी की रविष इख़तियार करें। उन्होंने मुस्लमानों को मश्वरा दिया कि वो सूद की लानत से परहेज़ करें क्योंकि सूद का लेना और देना एक संगीन जुर्म है और गुनाह अज़ीम है इस से इजतिनाब करें ताकि नार-ए-जहन्नम से महफ़ूज़ रह सकें। उन्हों ने कहा कि दौर-ए-हाज़िर में टेलीविज़न से भी कई बुराईयां हो रही हैं और टेलीविज़न की वजह मुस्लिम मुआशरा बुरी तरह मुतास्सिर हो रहा है और टी वी की वजह से भी मुस्लिम तबक़ा में मग़रिबी तहज़ीब प्रवान चढ़ रही है जिस का तदारुक वक़्त की अहम तरीन ज़रूरत ही। मौलाना अबदुर्रहीम जामई ने नौजवानों से ख़ाहिश की कि वो निकाह को आसान बनाते हुए मुस्लिम मुआशरे से घोड़े और जोड़े की लानत का ख़ातमा करें और बेहयाई और हरामकारी से महफ़ूज़ रहें ताकि कल क़ियामत के दिन रुसवाई और अज़ाब जहन्नुम से बच सकें। उन्हों ने नौजवान लड़कीयों पर भी ज़ोर दिया कि वो बे हाई और बेपर्दगी से बचें ताकि अल्लाह के अज़ाब और ग़ज़ब से महफ़ूज़ रह सकें।

उन्हों ने ख़वातीन से परज़ोर अपील की कि वो अपने शौहरों की इताअत और फ़रमांबर्दारी से ग़फ़लत ना बरतें। नमाज़ों की पाबंदी करें और सब्र-ओ-तहम्मुल और रहम दिल्ली से काम लें। उन्हों ने मुस्लमानों पर ज़ोर दिया कि वो अपने नौनिहालों को ज़ेवर तालीम से आरास्ता करवाईं और अपनी बीवीयों के साथ हुस्न-ए-सुलूक करें। इस मौक़ा पर आलम दीन इमाम-ओ-ख़तीब मस्जिद आईशा बीदर फ़ज़ीलत उल-शेख़ मौलाना मुजीबुर्रहमान क़ासिमी ने भी मुख़ातब करते हुए मुस्लमानों से अपील की कि वो अपनी दुनियावी ज़िंदगी को इस्लामी दायरे में गुज़ारें।