इस्लाम अल्लाह ताला की रजामंदी का एक अहम दस्तावेज़,मौलाना तसख़ीर और अन्य हज्रात‌ का संबोधन‌

हैदराबाद । दुनिया में इंसानों के लिए सब से बड़ी नेमत अमान (सूरख्शा ) और सलामती है क्यों कि इसी की बदौलत(वजह से) दुनिया क़ायम है और इस में ख़ैर-ओ-बरकत , अमन ,सुकून(सूख शांती) और बहबूद-ओ-फ़लाह (भलाइ) है और इस के बाद की हमेशा हमेशा रहने वाली ज़िंदगी के लिए बख़शिश-ओ-नजात(सफल्ता) का ज़रीया भी ।

दुनिया में बहुत से मज़ाहिब (धर्म) हैं और इस के मानने वाले भी हैं लेकिन अल्लाह के नज्दीक दीन ए हक़ (सच्चा धर्म)इस्लाम ही है मज्हब इस्लाम के मानने वाले मुसल्मान कहलाते हैं किसी मुसल्मान और अन्य‌ मज़ाहिब के मानने वालों में बहुत बड़ा और बुनियादी फ़र्क़ सिर्फ तौहीद(इश्वर को एक मान्ने) और रिसालत(पैगंबरी) पर इमान लाना(को स्वीकार करना) है । मुसल्मान का ये कामिल यक़ीन (पूरा वीश्वास) और ज़बान से इक़रार और दिल की गहिराईयों से ये एलान होता है कि वो सिर्फ और सिर्फ एक अल्लाह जो वहिदा लाशरीक है । इस पर और इस के भेजे हुए अन्बीया , रसूलों , फ़रिश्तों और क़यामत और हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा स.व. को आख़िरी नबी और रसूल मान्ता जान्ता और इस पर अमल करता है ।

डाक्टर मुफ़्ती मुहम्मद क़ासिम सिद्दीकी तस्ख़ीर नायब मुफ़्ती जामिया निज़ामीया ने दीनी तालीमी-ओ-सनअती तंज़ीम(संस्था) के ज़ेर एहतिमाम गरमाई मीक़ाती तातीलात(समर वेकेशन) में तआरुफ़ ए इस्लाम(इस्लाम परीचय) क्लास के एहतिमाम के ज़िम्न(सील्सिला) में 30 अप्रैल को तंज़ीम के सदर दफ़्तर में मुनाक़िद हुई थी । इस में तालिबात ख़वातीन सरपरस्त ओलिया ए तालिबात और मदउवीन के इज्तेमा को मुख़ातब करते हुए कहा कि इस्लाम किया है ? इस्लाम को क्यों क़बूल करना चाहीए और इस की इफादियत(फाइदां) पर तफ्सीली रोशनी डाली ।

तंज़ीम के सदर मुहम्मद वहाज उद्दीन सिद्दीकी ने अपनी तकरिर‌ में कहा कि तमाम‌ उल्मा किराम , फुक़हा और दानिश्वर और खूसूसन मुहद्दिसीन की तालीमात की रोशनी में इस्लाम पहले इल्म(शीख्शा) का और इल्म के बाद अमल का नाम है । कोई शख़्स इल्म के बगैर मुसल्मान नहीं हो सकता । इस्लाम अल्लाह ताला की रजामंदी की एक ज़बरदस्त दस्तावेज़ है ।

इस मौक़ा पर मौलाना मुहम्मद क़ासिम सिद्दीकी तस्ख़ीर को पी एच डी मुकम्मल करने पर तहनियत पेश की गई । सदर तंज़ीम मुहम्मद वहाज उद्दीन सिद्दीकी ने आप को शाल पेश की । वसीम सुल्ताना की क़िरात और सबूर मुहम्मद ख़ां की नात शरीफ से जल्सा का आग़ाज़ हुआ ।

डाक्टर ग़ुलाम अब्बास मोतमद तंज़ीम ने शुक्रिया अदा किया ।