मस्क़त, ०४ जनवरी (एजेंसीज़) मुत्तहदा अरब इमारात के मुफ़्ती-ए-आज़म शेख़ अहमद बिन हम्माद अली ख़लीली (Sheikh Ahmad bin Hamad al-Khalili )ने आज एक अहम ब्यान देते हुए कहा कि इस रोय ज़मीन पर मज़हब इस्लाम ही वो वाहिद मज़हब है जिस ने दुनिया के हर मसाइल की यकसूई के लिए रहनुमाई की है चाहे वो मआशी मसाइल हो, सयासी हो या कोई और मसला किताब-उल्लाह यानी क़ुरआन मजीद एक मुकम्मल ज़ाबता-ए-हयात है जिस के मुताला के बाद ये पता चलता है कि दुनिया का कोई मसला ऐसा नहीं जिस का हल क़ुरआन ने ना पेश किया हो।
यहां तक कि अब मग़रिबी मुफ़क्किरीन और फिलास्फ़ी भी इस नुक्ता पर मुत्तफ़िक़ नज़र आते हैं। केरला इस्लामिक एसोसीएसन (KIA) की जानिब से क़ुरआन मजीद पर मबनी कोइज़ प्रोग्राम में जीतने वालों को इनाम की तक़सीम की एक तक़रीब से ख़िताब करते हुए उन्होंने ये बात कही। आज दुनिया में समाजी बेचैनी, सयासी अदम इस्तिहकाम, ग़ुर्बत और महरूमियत का बोल बाला है।
उन्हों ने कहा कि मसाइल की बुनियादी वजह ये है कि जिस दुनिया में हम रहते हैं वो अब एक वाहिद दुनिया (जैसा कि कहा जाता है कि दुनिया एक आलमी क़र्या में तबदील होचुकी है) बन चुकी है लिहाज़ा ज़रूरत इस बात की है कि यहां बसने वाला हर इंसान एक दूसरे से क़रीबतर होने की कोशिश करे क्योंकि हर मुस्लमान एक दूसरे का दीनी भाई है।
अगर दूसरे नज़रिया से देखा जाय तो कुर्राह-ए-अर्ज़ का हर इंसान, चाहे इस का ताल्लुक़ किसी भी मज़हब से हो, एक दूसरे का भाई है लेकिन ख़ुदा ने फ़र्र ज़िंदाँ तौहीद को ख़ुसूसीयत दी है कि वो अल्लाह को ही अपना माबूद और मुहम्मद ( स०अ०व०) को रसूल समझते हैं।