इस्लाम का दुस्मन (Arnoud Van Doorn) ने इस्लाम कुबूल किया

मदीना मुनव्वरा, 23 अप्रैल: ( एजेंसीज़) अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की शान ए करीमी हर हाल में और कई रूप में झलकती नज़र आती है , जिसकी एक बेहतरीन मिसाल ये है कि अल्लाह तआला ने एक गुस्ताख इस्लाम हॉलैंड के सख़्त गैर मुस्लिम दुश्मन सियासतदां ग्रेट वायलडर्स के करीबी साथी और उसकी पार्टी के अहम लीडर अरनौड वैन डोर्न (arnoud van doorn) को अमान से सरफ़राज़ फ़रमा दिया ।

जो शख़्स कल तक इस्लाम और मुसलमानों के ख़िलाफ़ ज़हर अफ़्शानी किया करता था , आज वही हलक़ाबगोश इस्लाम हो गया है और इस ने मदीना मुनव्वरा में रोज़ा-ए-अक़्दस पर हाज़िरी देते हुए साया-ए-रहमत तलाश कर लिया है । अरनौड वैन डोर्न (arnoud van doorn) ने गुस्ताख ग्रेट वायलडर्स की फ़िल्म में काम करने पर बारगाह ख़ुदावंदी में अपने गुनाहों की माफ़ी तलब की और तौबा-ओ-इस्तिग़फ़ार किया।

डोर्न भी फ्रीडम पार्टी के इन लीडरों में शामिल था जो इस्लाम के ख़िलाफ़ गुस्ताखाना फ़िल्म फ़ित्ना तैयार किया था । ताहम डोर्न गुज़श्ता माह मुशर्रफ़ ब इस्लाम हो गया था । इससे क़ब्ल उन्होंने दीन इस्लाम के इलावा पैग़म्बर इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा स०अ०व० की सीरत तैबा के बारे में तफ़सीली मुताला किया था ।

डोर्न ने कहा कि गुस्ताख फ़िल्म के ख़िलाफ़ सारी दुनिया में गम-ओ-ग़ुस्सा की लहर ने उन्हें मुहसिन इंसानियत हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा स०अ०व० की हयात मुबारका के बारे में वसीअतर मुताला करने पर मजबूर कर दिया था , जिसका नतीजा ये हुआ कि वो सीरत तैबा से मुतास्सिर होकर मुशर्रफ़ ब इस्लाम हो गए हैं।

इस्लाम के बारे में तजस्सुस ने डोर्न को मस्जिद नबवी स०अ०व० के दो आयमा किराम शेख अली अलहज़ेफ़ी और शेख सालिह अलबदर से मिलने का मौक़ा फ़राहम किया और कलिमा तैबा पढ़ने के बाद मक्का-ए-मुकर्रमा पहुँच कर उन्होंने उमरा अदा किया ।

इस्लाम कुबूल करने के बाद उन्हें एक अच्छे मुसलमान की हैसियत से ज़िंदगी बसर करने के लिए रहनुमाई की गई और नसीहत की गई कि मग़रिबी ममालिक में इस्लाम के ख़िलाफ़ झूटे प्रोपगंडा और दीगर चैलेंजों का सामना करें। डोर्न (arnoud van doorn) हॉलैंड के रुकन पार्ल्यमंट हैं और दी हेग सिटी कौंसल के रुकन आला भी हैं।

उन्होंने ट्विटर पर इस्लाम कुबूल करने के फैसले का ऐलान किया। उन्होंने अरबी ज़बान में भी एक पैग़ाम रवाना किया जिस में लिखा गया है कि ला इलाला इल्लल्लाह मुहम्मद रसूलूल्लाह (ख़ुदा के सिवा कोई माबूद नहीं और मुहम्मद (स्०अ०व०) इसके रसूल हैं) इब्तिदा में कई अफ़राद ने इस ख़बर को महज़ एक मज़ाकिया लतीफ़ा समझा क्योंकि माज़ी में वो इस्लाम के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने में काफ़ी बदनाम हुए थे ।

इस्लाम और पैग़म्बर इस्लाम की शान में गुस्ताख़ी करने वालों के वो एक सरगर्म हामी और मद्दाह थे । उन्होंने कई मर्तबा इस्लाम के ख़िलाफ़ गुस्ताखाना ब्यानात की खुले आम हिमायत की थी । इतना ही नहीं बल्कि वो शख़्सी तौर पर इसी सरगर्मियों में शामिल भी हुआ करते थे ।

उन्होंने कहा कि मेरे अपने करीबी हलक़े में शामिल कई लोग ये जानते थे कि में क़ुरआन , हदीस , सुन्नत और दीगर मज़ामीन का तकरीबन एक साल से सरगर्मी के साथ मुताला कर रहा हूँ । इसके इलावा मैंने कई मुस्लिम अकाबरीन से इस्लाम के बारे में बात चीत की थी जिस से मुझे इस्लाम के बारे में उन कई मनफ़ी बातों का अज़ाला करने में मदद मिली जो मुझे पहले बताए गए थे।

मैं उन में से नहीं हूँ जो दूसरों का कहा मानते हैं बल्कि में ख़ुद अपनी खोज और फ़िक्र के मुताबिक़ फैसला किया करता हूँ । चुनांचे मैंने बेचैनी के साथ इस्लाम के बारे में मुताला किया और जिस को हक़ पाने के बाद में मुशर्रफ़ ब इस्लाम हो गया। इस फैसले पर उन्होंने कहा कि अब बाअज़ लोग मुझे ग़द्दार कह रहे हैं , लेकिन बहुतों का कहना है कि मैंने ये बहुत अच्छा फैसला किया है , आम तौर पर मुसबत रद्द-ए-अमल का इज़हार किया जा रहा है जिस से मुझे काफ़ी ख़ुशी हो रही है ।

उन्होंने कहा कि मुशर्रफ़ ब इस्लाम होने के बाद ऐसा महसूस होता है कि मुझे मेरा रास्ता मिल चुका है और में महसूस कर रहा हूँ कि ये मेरी ज़िंदगी की एक नई शुरूआत है अगरचे अब मुझे यहां से बहुत कुछ सीखना बाक़ी है ।