नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा है कि इस्लाम इंसानियत और अमन का सन्देश देता है, लेकिन चंद लोग इसे बदनाम कर रहे हैं और इनके खिलाफ अमन पसंद बहुसंख्यक मुसलमानों को खुद आवाज बुलंद करनी होगी।
सत्यार्थी ने जॉर्डन में आयोजित ‘लॉरेट्स एंड लीडर्स फ़ॉर चिल्ड्रन’ शिखर बैठक के दौरान कल पश्चिम एशिया के कुछ देशों में चल रहे हिंसक संघर्ष के संदर्भ में यह बात कही।
सत्यार्थी ने कहा, ‘इस्लाम तो मानवता, त्याग और शान्ति सिखाता है। लेकिन चंद लोग हैं जो आतंकवाद और दूसरी गतिविधियों के माध्यम से इसे बदनाम कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि इस क्षेत्र (पश्चिम एशिया) में 99 फीसदी से भी ज्यादा मुसलमान अमनपसंद हैं।
मैं यह कहना चाहता हूँ कि उनके चुप रहने से काम नहीं चलेगा। उन्हें आगे आना होगा और आवाज उठानी होगी। मुख्य रूप से धर्मगुरुओं को इसमें प्रमुख भूमिका अदा करनी होगी।
गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों से सीरिया, इराक और यमन हिंसक संघर्ष का सामना कर रहे हैं। इसमें भी सीरिया की हालत सबसे ज्यादा भयावह है।
सीरिया में मार्च, 2011 में गृहयुद्ध की शुरूआत के बाद से करीब पांच लाख लोग मारे जा चुके हैं। यूएनएचसीआर के मुताबिक 56 लाख से अधिक लोगों को सीरिया से बाहर शरण लेनी पड़ी है और इससे कहीं ज्यादा लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं।
बड़ी संख्या में शरणार्थियों को पनाह देने और उदारवादी रुख रखने के लिए जॉर्डन की तारीफ करते हुए सत्यार्थी ने कहा, “पूरी दुनिया को जॉर्डन से इस्लाम की सीख लेनी चाहिये। जॉर्डन अपने किरदार के जरिये यह बखूबी दिखा रहा है कि इस्लाम क्या है।’
जॉर्डन के डेड सी के किनारे के किंग हुसैन बिन तलाल कन्वेंशन सेंटर में हुई दो दिवसीय (26-27 मार्च) लॉरेट्स एंड लीडर्स फ़ॉर चिल्ड्रन’ शिखर बैठक में जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय शामिल हुए।
उनके अलावा इस शिखर बैठक में पनामा के राष्ट्रपति जुआन कार्लोस वरेला, फर्स्ट लेडी लोरेना कासतिलो वरेला, जॉर्डन के प्रिंस अली बिन अल हुसैन, नोबेल शान्ति विजेता कैलाश सत्यार्थी, तवक्कल कारमान (यमन) और लेमा बोवी (लाइबेरिया), आयरलैंड की पूर्व राष्ट्रपति मेरी रॉबिन्सन, अल्जीरिया के पूर्व विदेश मंत्री लखदर ब्राहिमी, अमेरिकी मानवाधिकार कार्यकर्ता केरी केनेडी और कई अन्य हस्तियां भी शामिल हुईं।