इस्लाम दुश्मन फ़िल्म पर इमतिना ( प्रतिबंध) से ओबामा का इनकार

अक़वाम-ए-मुत्तहिदा, २६ सितंबर (पी टी आई) सदर अमेरीका बारक ओबामा ने आज महात्मा गांधी के अलफ़ाज़ अक़वाम-ए-मुत्तहिदा ( UN) की जनरल असेंबली से ख़िताब के दौरान दुहराते हुए कहा कि वो लीबिया में अमेरीकी सफ़ीर ( राजदूत) की हलाकत ( मौत) को भूले नहीं है जिसे एक पुरतशद्दुद एहितजाजी मुज़ाहरा में जो एक इस्लाम दुश्मन फ़िल्म की नुमाइश के बाद शुरू हुआ था हलाक कर दिया गया है।

उन्होंने कहा कि ये वीडीयो फ़िल्म गुस्ताख और अफ़सोसनाक है लेकिन इस को अमेरीका पर हमले का बहाना नहीं बनाया जाना चाहीए । ओबामा ने अक़वाम-ए-मुत्तहिदा ( UN) की जनरल असेंबली से ख़िताब करते हुए आलमी क़ाइदीन ( राष्ट्रीय लीडरों) से कहा कि ये हमले बिन ग़ाज़ी में हमारे शहरियों पर किए गए हैं और अमेरीका पर हमले के मुतरादिफ़ (बराबर) है।

उन्हों ने कहा कि इस बात में कोई शक-ओ-शुबा नहीं होना चाहीए । हम क़ातिलों को ढूंढ निकालें और उन्हें इंसाफ़ के कटघरे में खड़ा करेंगे। उन्होंने अपनी तक़रीर का आग़ाज़ ( शुरूआत) क्रिस्टोफ़र स्टीवंस सफ़ीर ( राजदूत) अमेरीका बराए लीबिया की याद दहानी करते हुए शुरू किया और कहा कि गुज़श्ता दो हफ़्ता से एक गुस्ताखाना और अफ़सोसनाक वीडियो की नुमाइश की बिना पर पूरे आलम (विश्व) इस्लाम में ब्रहमी ( गुस्सा) फैल गई है।

उन्होंने कहा कि वो वाज़िह ( स्पष्ट) कर चुके हैं कि हुकूमत अमेरीका को इस वीडियो फ़िल्म से कोई ताल्लुक़ ( संबंध) नहीं है। इन के ख़्याल में इस वीडियो फ़िल्म के पैग़ाम को इन तमाम की जानिब से मुस्तर्द ( रद्द) किया जाना चाहीए जो मुशतर्का ( कथित तौर पर) इंसानियत में यक़ीन रखते हैं।

सदर ओबामा ने कहा कि मुस्तक़बिल ( भविष्य) उन लोगों का नहीं होना चाहीए जो पैग़ंबर इस्लाम स०अ०व० के ख़िलाफ़ बदगोई ( अपशब्द/ गलत अल्फाज इस्तेमाल) करते हैं। इस के बावजूद क़ाबिल एतबार कहलाते हैं बल्कि ऐसे बदगो अफ़राद की मुज़म्मत ( निंदा) की जानी चाहीए।

अगर ईसा मसीह की शबेहा की बेहुर्मती की जाय गिरजा घरों को तबाह किया जाय या यहूदीयों के जर्मनी में क़त्ल-ए-आम की तरदीद ( खंडन) की जाय तो हमें इस पर जितनी नफ़रत महसूस होती है उतनी ही नफ़रत हमें इस वीडियो फ़िल्म पर भी पैदा होनी चाहीए। इस इश्तिआल अंगेज़ी की मुज़म्मत ( निंदा) की जानी चाहीए जो सूफ़ी मुसलमानों और शीआ ज़ाइरीन के ख़िलाफ़ की गई है।

उन्होंने कहा कि अब वक़्त आ गया है कि हम महात्मा गांधी के इन अलफ़ाज़ का इआदा (दुहराना) करें तास्सुब (धार्मिक पक्षपात) ख़ुद तशद्दुद की एक तब्दील शूदा शक्ल है और हक़ीक़ी जमहूरी ( प्रजातंत्र) जज़बा के फ़रोग़ में एक रुकावट है। उन्होंने कहा कि आज हमें एक एसी दुनिया के लिए जद्द-ओ-जहद करना है जो हमारे इख़तिलाफ़ात ( नफरत व दुशमनी) दूर कर के हमें मुत्तहिद ( एक/ मेल मिलाप) करेगी ।

यही वजह है कि अमेरीका इसी नज़रिया की तजसीम (Incarnation/अवतार) है और इस की ताईद ( समर्थन) करते हैं। ओबामा ने कहा कि ये वीडियो फ़िल्म सिर्फ मुसलमानों की नहीं बल्कि अमेरीका की भी तौहीन है क्योंकि हम इस बात को खुले अलफ़ाज़ में कह चुके हैं कि हमारा मुल़्क एक ऐसा मुल्क है जो हर मज़हब और हर नसल के अफ़राद का ख़ैरमक़दम ( स्वागत) करता है।

अमेरीका मुसलमानों का भी वतन है जिन्हें अपने मज़हबी तरीका पर अमल करने की पूरे अमरीका में आज़ादी हासिल है। हम आज़ादी मज़हब का एहतिराम करते हैं। इन तमाम क़वानीन ( नियमो) का एहतिराम करते हैं जो दूसरों के अक़ाइद ( धर्म) को मजरूह (जख्मी) ना करते हों।

हम समझते हैं कि लोगों ने क्यों इस वीडियो पर ब्रहमी ( गुस्सा) ज़ाहिर की है ? क्योंकि हमारे लाखों आवाम के जज़बात मजरूह हुए हैं।