जुनूबी अफ्रीका में एज़ाज़ याफ्ता दारुल उलूम देवबंद वक्फ के मोहतमिम मौलाना सालिम कासिमी का शाहपीर जदीद वाकेय् मदरसा नूर उल इस्लाम में इस्तेकबाल किया गया। शाहपीर गेट के पास वाकेय् इस मदरसे में तकरीर करते हुए मौलाना कासिमी ने कहा कि हिंदुस्तान के किसी मुस्लिम को पहली मरतबा यह एज़ाज़ मिला है। यह एज़ाज़ उनका नहीं बल्कि हिंदुस्तान का है।
पीर के रोज़ मदरसे में हुए प्रोग्राम में शिरकत करते हुए मौलाना कासिम ने कहा कि इस्लाम की तब्लीग की जरूरत है। पूरी दुनिया में इस्लाम को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। इस्लाम कभी भी दंगे और फसाद की इजाजत नहीं देता। उन्होंने बताया कि 280 मुल्कों के उल्मा ए किराम के बीच से उन्हें एज़ाज़ के लिए चुना गया है। यह सिर्फ उनका एज़ाज़ नहीं है बल्कि हिंदुस्तान का एज़ाज़ है।
मदरसे के तुलबा को उन्होंने अख्लाक का सबक पढ़ाया और एक दूसरे का ख्याल रखने की सीख दी। इस मौके पर मुल्क में अमनो-अमान के लिए दुआ की गई। मदरसा नूर उल इस्लाम के मोहतमिम मुफ्ती सैय्यद ने मक्तूब ए इज़हार ए तशक्कुर पेश किया।
नायाब मोहतमिम मोहम्मद अहमद नूरी ने कहा कि मौलाना कासिमी को मिला बैनुल अकवामी एज़ाज़ दीनी तालीम और इंसानी मआशरे के लिए उनके किए गए कामो के लिए दिया गया है। उन्होंने ईदगाह के मुतवल्ली आसिम अली सब्जवारी के इंतेकाल पर गम ज़ाहिर किया किया।
कारी शफीकुर्ररहमान के ज़ल्द सेहतमंद होने के लिए दुआ की गई। रियासत के वज़ीर का दर्जा हासिल अय्यूब अंसारी ने ख्याल ज़ाहिर किए। कारी अब्दुल कयूम, मुफ्ती आसिफ, रहीस अहमद आदि मौजूद रहे।