इस जेल में बंद सभी मुस्लिम कैदी रखते हैं रोज़ा, पढ़ते हैं पांच वक्त की नमाज़!

भीषण गर्मी के बावजूद कारागार में बंदी जीवन जी रहे आठ रोजेदार पांचों वक्त की नमाज अदा कर रहे हैं। एक ही परिवार के आठों रोजेदार कारागार में होने वाली नियमित गतिविधियों एवं खेल प्रतियोगिताओं में भी अपनी हिस्सेदारी रखते हैं।

बुधवार को जेल में पाली एवं बिलाड़ा क्षेत्र के बंदियों के बीच हुई कबड्डी के दौरान इन रोजेदारों ने पाली को परास्त कर बिलाड़ा टीम को जीताने में अहम भूमिका निभाई।

इन रोजेदारों में सबसे बुजुर्ग नसीर खां (65) को जब पूछा गया कि हत्या के आरोप में एक ही परिवार के आठ लोग बंद हैं और अभी रमजान का महीना है, क्या उनमें पश्चाताप जैसे भाव हैं? उन्होंने कहा कि रमजान केवल इबादत का महीना नहीं है, बल्कि यह समाज सुधार का भी जरिया है।

रमजान से समाज को तकवा, पाबंदगी, एकता, भाईचारा इंसानियत, सब्र और गरीबों की मदद का पैगाम मिलता है। केवल पुलिस और कानून की ताकत पर समाज से बुराइयों को खत्म नहीं किया जा सकता, इनको खत्म करने का एक जरिया है ‘तकवा ‘ यानि लोगों के दिलों से बुराइयों को दूर करना।

जेल में बंद नसीर खां के साथ जब्बार खां, अहमदद्दीन, अल्लानूर, मेहरूखां, फारूक, सफरे आलम के साथ उत्तरप्रदेश के एक बंदी परवेज आलम ने भी आज तेरहवां रोजा रखा। जेल प्रशासन भी इन रोजेदारों का पूरा ख्याल रख रहा है।

सख्त नियमों में छूट देकर ‘सेहरी ‘ और इफ्तार के समय इनके लिए तरबूज, खरबूजा एवं जनसहयोग से मिठाई आदि की भी व्यवस्था की जा रही है। कई बार इनके परिजन मिलने के लिए आते हैं तो वे भी अपने रोजेदारों के लिए फल-फू्रट ले आते हैं।