इस पूर्व IAS की वजह से यूपी के नेताओं को छोड़ने पड़े बंगले!

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश के उन पूर्व मुख्यमंत्रियों को अपना घर छोड़ना पड़ा है, जिन्होंने सरकारी बंगलों पर कई दिनों से कब्जा जमाया हुआ था. दरसअल सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के उस कानून को रद्द कर दिया था, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को ताउम्र सरकारी बंगला देने का प्रावधान दिया गया था. साथ ही कहा था कि प्रदेश का कोई भी पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी बंगले में रहने का हकदार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के पीछे है सत्य नारायण शुक्ल का नाम, जिनकी वजह से यह संभव हुआ है.

बता दें कि सत्य नारायण शुक्ल सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं और उनकी याचिका का ही नतीजा था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को अपना सरकारी बंगला खाली करना पड़ा. इससे पहले भी उन्होंने कई ऐसी याचिकाएं लगाई हैं, जिसके बाद ऐतिहासिक फैसले लिए गए हैं. उन्होंने कई बार बड़े फैसलों को पलटा है. पूर्व आईएएस अधिकारी शुक्ल ने अपने करियर के दौरान पीडब्लूडी, एक्साइज, राजस्व, सिंचाई जैसे कई महत्वपूर्ण विभागों में कार्य किया है.

लोकप्रहरी संस्था के महासचिव

वे लोकप्रहरी नाम की एक संस्था के महासचिव हैं और इस संस्था ने कई आदेशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. साल 2003 में शुक्ल नौकरी से रिटायर हुए. उसके बाद वो एनजीओ लोक प्रहरी से जुड़ गए. यह एनजीओ कुछ पूर्व आईएएस अधिकारियों, जज और दूसरे सरकारी अधिकारियों ने मिलकर स्थापित किया था.

दोषी नेताओं की सदस्यता पर आदेश

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एनजीओ ने 2013 में अदालत में दोषी नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोला था. सत्य नारायण शुक्ल के प्रयासों से ही सुप्रीम कोर्ट ने सांसद और विधायकों को तीन साल से ज्यदा सजा होने पर उनकी सदस्यता को समाप्त कर दिये जाने का फैसला लिया गया था. इस आदेश के बाद सबसे पहले रशीद मसूद की सदस्यता समाप्त की गई.