दशहरा के मौक़े पर लखनऊ के ऐशबाग दशहरा समारोह में पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में आतंकवाद के जिक्र करते हुए भावुक हो गये। उन्होंने कहा दो दिन से सीरिया की एक बच्ची की तस्वीर मेरी जहन से नहीं निकल रही है। खून से लथपथ इस बच्ची की तस्वीर देखकर हम सब विचलित हो रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा सीरिया की इस छोटी सी बच्ची की खून से रंगी तस्वीर देखकर मेरी आंखो में आंसू आ गया। आतंकवाद की मार झेल रहे रहे सीरिया में बच्चों पर क्या बीत रही है दुनिया को इसका अहसास होना चाहिए। ऐशबाग के मैदान से ही प्रधानमंत्री ने दुनिया को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील की।
प्रधानमंत्री किस बच्ची का जिक्र कर रहे थे।
इस बच्ची का नाम है अया है। 4 साल की इस बच्ची को ना तो सरहद का पता है और ना न तो लोकतंत्र और तानाशाही के मायने समझ में आते हैं और न ही देशों की सीमाओं के। अया का ये हाल किया युद्ध लड़ने वालों ने। अया का ये हाल हुआ है आसमान से गिरे बारूद के गोलों और मोर्टार के छर्रों ने।
अया की इस तस्वीर को देखकर सिर्फ प्रधानमंत्री को ही नहीं मानवता के एक छोटा सा अंश भी रखने वाला भी देखकर रोया होगा। बीते साल तुर्की के समुद्र तट पर पाई गई नन्हे अयलान कुर्दी की लाश की तस्वीर ने दुनिया को झकझोर दिया था। गृहयुद्ध की विभीषिका से जूझ रहे सीरिया से तुर्की आ रही वह नाव समुद्र में उलट गई थी जिसमें चार साल के अयलान कुर्दी का परिवार भी सवार था अया उसी सीरिया की नागरिक है। जहां के थे आयलान कुर्दी और ओमरान दकनीश। कुछ ही महीने पहले ओमरान का हाल भी वही हुआ था जो अया का हुआ।अया भी उन लाखों बच्चों में से एक हैं जो बिना कसूर युद्ध का निवाला बन रहे हैं।
अया सीरिया के तलबीसेह शहर में हवाई हमले की शिकार बनी। उसकी जान बच गई लेकिन वो अपने परिवार से बिछड़ गई। खुद के घर के मलबे में फंसी अया को मेडिकल कैंप ने निकाल लिया। मेडिकल स्टाफ उसके चेहरे से टपकते खून को रोकने की कोशिश कर रहे थे तब अया को अपने घाव की नहीं, अपने बिछड़े परिवार की फिक्र थी। रोते हुई आंखो से वह अपने मां -बाप को तलाश रही थी। टोटली आवाजों से बाबा चिल्ला रही थी।
अया किस्मत वाली थी उसको मौत छुकर निकल गई । उसके परिवार भी सोमवार को मिल गए। लेकिन सीरिया में हजारों बच्चे ऐसे है जिनके मां बाप उन्हें दोबारा नहीं मिलने वाले। लाखो अया ऐसी है जिन्होने जिंदगी की उम्मीद दफन हो चुकी है।