इज़राइल की पोल खोलने पर सात फिलिस्तीनी पत्रकारों के फेसबुक अकाउंट सस्पेंड

फिलिस्तीन के संघर्षरत इलाकों की रिपोर्टिंग करने वाले 7 पत्रकारों का फेसबुक अकाउंट सस्पेंड कर दिया गया है। पत्रकारों का आरोप है कि ऐसा फेसबुक ने इज़रायल और फेसबुक में हुए एक समझौते के तहत किया गया है। पत्रकारों का कहना है कि फेसबुक नहीं चाहता कि इज़रायल की फिलिस्तीन बर्बरता की खबर दुनिया के सामने आये।

फिलिस्तीन के वेस्ट बैंक शबाब न्यूज एजेंसी के लिए काम करने वाले पत्रकार के फेसबुक फॉलोवर संख्या लगभग 6 लाख है। वहीं कुर्द न्यूज एजेंसी के लिए काम करने वाले बाकि तीन पत्रकारों की फॉलोवर 5 लाख से भी ज्यादा है।

कुर्द न्यूज एजेंसी में पत्रकार निसरन-अल- खतीब ने अलजज़ीरा से बात करते हुए कहा हम अपने फेसबुक प्रोफाईल में अक्सर फिलिस्तानी नागरिकों पर होने वाले अत्याचार की सही तस्वीर दुनिया को बताने की कोशिश करते थे। लेकिन फेसबुक के अधिकारी और इज़रायल के मंत्री एक गुप्त समझौते के तहत ये तय किया है कि इज़रायल की छवि खराब करने वाली किसी भी तरह के पोस्ट फेसबुक डिलेट कर देगा। और ऐसा करनी वाली फेसबुक प्रोफाईल को सस्पेंड। हम पे भी कार्यवाही उसी समझौते का नतीजा है।

निसरन बताते हैं कि बीते कई सालों से फिलिस्तीन पर इज़रायल की तरफ से होने वाली बम-बारी के खिलाफ फेसबुक में बहुत आवाज़ उठी। जिसका असर ये हुआ कि दुनिया के नज़र में इज़रायल की छवि बिगड़ी और एक अप्रत्यक्ष दबाव बना। इज़रायल अपने अमानवीय कृत्यों को दुनिया के सामने ना आने के लिए फेसबुक से एक समझौता किया जिसमें इज़रायल की सच्चाई उजागर करने वाले सारे कंटेट को फेसबुक डिलेट कर देगा।

हालांकि निसरन के इन इल्जा़मों पर फेसबुक ने किसी तरह की सफाई नहीं दी है। इस मामले में सोशल मीडिया पर फ्रीडम ऑफ स्पीच के लिए लड़ने वाली संस्था डिजिटल राइट का कहना है कि फेसबुक की आंतरिक नियमों के तहत इस तरह का कोई समझौता संभव ही नहीं है।

बीते महीने 150 फिलिस्तिनियों को सोशल मीडिया में लोगों को भड़काने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है, इस मुद्दे पर फिलिस्तीन के इन्फॉरमेशन सेंटर का कहना है कि हमारे नागरिकों को बस इसलिए गिरफ्तार किया जाता है क्योंकि वो सोशल मीडिया के प्लेटफार्म का इस्तेमाल करते हुए इज़रायल के बर्बरता और जु़ल्म को दुनिया के सामने रखते हैं।