इज़ाफ़ी पुलिस फ़ोर्स के क़ियाम का मुआमला संगीन

इलाहाबाद हाईकोर्ट लखनऊ की डवीज‌न बेंच जो जस्टिस डी के उपाध्याय और जस्टिस इमतियाज़ मुर्तज़ा पर मुश्तमिल थी ने आज लखनऊ के ज़िला मजिस्ट्रेट की जानिब से नरेंद्र मोदी की 2 मार्च को लखनऊ में रैली के लिए तलब की गई इज़ाफ़ी फ़ोर्स को लखनऊ के बाज़ कॉलेजों में ठहराए जाने के मुआमला को एक संगीन मुआमला क़रार देते हुए इस मुआमला की समाअत मई के पहले हफ़्ता में करने की हिदायत दी है।

फ़ाज़िल बेंच के सामने आज ज़िला मजिस्ट्रेट की जानिब से चीफ़ स्टैंडिंग कौंसिल ने कहा कि ज़िला मजिस्ट्रेट ने इज़ाफ़ी पुलिस फ़ोर्स को कॉलेजों में ठहराने के अपने साबिक़ा हुक्म को वापिस ले लिया है लेकिन अदालत चीफ़ स्टैंडिंग कौंसिल के इस ख्याल‌ से मुतमइन नहीं हुई।

फ़ाज़िल बेंच ने इस मुआमला को संगीन क़रार देते हुए कहा कि अदालत इस पूरे मुआमला की समाअत करेगी और वो ये जानना चाहेगी कि ज़िला मजिस्ट्रेट ने किस क़ानून, किन क़वाइद-ओ-ज़वाबत के तहत इज़ाफ़ी पुलिस फ़ोर्स को कॉलेजों में ठहराए जाने का हुक्म जारी किया था। याद रहे कि चिहार‌ शंबा को लखनऊ से शाय होने वाले एक हिन्दी अख़बार दैनिक जागरण की ख़बर को हाईकोर्ट की फ़ाज़िल बेंच ने रिट दर्ख़ास्त के तौर पर अज़ ख़ुद लेकर समाअत की और कल‌ ही अदालत ने कॉलेजों में पुलिस और पी ए सी के इज़ाफ़ी दस्तों को ठहराने पर रोक लगादी थी।