इफ़तार में पकौड़े और समोसे सेहत केलिए नुक़्सानदेह

तिब्बी माहिरीन के मुताबिक़ रोज़ा रखने से इंसानी सेहत पर मुसबत असरात मुरत्तिब होते हैं और मुतअद्दिद बीमारीयों पर क़ाबू पाया जा सकता है।

रोज़े से क़ुव्वत-ए-मदाफ़अत में इज़ाफ़ा के साथ रुहानी तसकीन भी मिलती है जो अच्छी सेहत केलिए इंतिहाई ज़रूरी है। रोज़ा मज़हबी तौर पर अच्छे काम करने, बुराई से रुक जाने और रवादारी का दरस देता है और तिब्बी लिहाज़ से इस के सेहत पर इंतिहाई मुफ़ीद असरात मुरत्तिब होते हैं।

रोज़े से ख़ुसूसी तौर पर मादा के तमाम अमराज़ से छुटकारा मिलता है क्योंकि भूक से मादा के अंदर से तेज़ाबीयत का ख़ातमा होता है। इफ्तार के वक़्त चिकनाई वाली ग़िज़ाओं से भी परहेज़ करना चाहीए और पकौड़े, समोसे और ऐसी दीगर अशीया खाने से परहेज़ करना चाहीए ताकि मादा दरुस्त काम करसके।

अक्सर ये देखा जाता है कि इफ़तार के वक़्त रोज़ा खोलने केलिए खजूर के इस्तेमाल के फ़ौरन बाद तेल की चीज़ों का बेतहाशा इस्तेमाल किया जाता है जो सेहत केलिए नुक़्सानदेह साबित हुई है।