मुस्लिम तहज़ीब-ओ-तमद्दुन के लिये सारे आलम में मशहूर शहर हैदराबाद फ़र्ख़ंदा बुनियाद को इस बात का एज़ाज़ हासिल है कि हिंदूस्तान के तमाम तारीख़ी शहरों की बनिसबत यहां ग़ैरमामूली और फ़न-ए- तामीर की शाहकार इमारतें कसीर तादाद में पाई जाती हैं ।
शरपसंद और अमन के दुश्मनों को यहां की गंगा जमनी तहज़ीब एक नज़र नहीं भाती यही वजह है कि शरपसंदों और फ़िर्क़ा परस्तों के कबील के लोगों ने 1947 के बाद से ही हैदराबाद तहज़ीब-ओ-तमद्दुन को तबाह-ओ-बर्बाद करने की कोशिश शुरू करदी थीं
अगरचे इस तरह के नापाक अज़ाइम रखने वाले अनासिर इंतिहाई कम तादाद में है लेकिन कैंसर की एक छोटी सी रसूली सारे जिस्म को मौत के मुँह में पहुंचा देती है ।
अमन इंसानियत और सब से बढ़ कर अपने वतन अज़ीज़ के इन दुश्मनों ने नक़्स अमन के लिये एक फार्मूला को क़तईयत दी है जिस के तहत हर तारीख़ी इमारत के करीब मज़हब के नाम गैरकानूनी ढांचा तामीर किये जा रहे हैं ।
क़ारईन आप शहर के किसी भी तारीख़ी मुक़ाम पर जाईए वहां आप को ज़रूर कोई ना कोई मज़हबी ढांचा ज़रूर नज़र आएगा । एसा ही कुछ आंधरा प्रदेश की सब से बड़ी ईदगाह मीर आलम के करीब भी हो रहा है ।
शरपसंदों ने ईदगाह के सीधे गेट के सामने अराज़ी पर एक ढांचा तय्यार करलिया है और उसे मंदिर की शक्ल देने की भरपूर कोशिश की जा रही है । गुज़शता साल बोनाल के मौक़ा पर यहां पूजा भी की गई हालाँकि कभी भी इस ईदगाह के करीब तक किसी मंदिर का नाम-ओ-निशान नहीं था ।
ज़राए का कहना है कि ईदगाह के दाएं गेट के बिलकुल सामने जो दरख़्त है पहले एक पोशीदा अंदाज़ में कुम-कुम डाला गया । मुक़ामी अवाम ने कोई तवज्जा नहीं दी फिर एक पत्थर रखा गया । गंगा जमनी तहज़ीब में यक़ीन रखने वाली मुक़ामी आबादी ने इस का कोई नोट नहीं लिया ।
एक पत्थर के बाद पत्थरों की तादाद में एक सूची समझी साज़िश के तहत चार पत्थर रखे गए और फिर इस पर एक चौड़ा मोटा सा पत्थर छत की तरह डाल दिया गया और 2 फ़ुट ऊंचे दो फ़ुट चौड़े इस ढाँचे को मंदिर बनाने की भरपूर कोशिश की गई ।
बहरहाल ज़रूरत इस बात की है कि हुकूमत तारीख़ी मुक़ामात के करीब तारीख़ी मुक़ामात पर नाजायज़ मज़हबी ढांचा तामीर कर दीए गए अगर ये चाहते तो एसा हरगिज़ नहीं होसकता ।
चारमीनार से मुत्तसिल गैरकानूनी मज़हबी ढांचा के बारे में भी अवाम अवामी नुमाइंदों और क़ाइदीन को ज़िम्मेदार टहरा रही है और ये उन से ये सवाल कर रही है कि ज़ाइद अज़ 5 दहों से आख़िर वो क्या कर रहे हैं ?
आप को बतादें कि ईदगाह मीर आलम को आंधरा प्रदेश के सब से बड़ी ईदगाह होने का एज़ाज़ हासिल है । जहां बयक वक़्त 400000 मुस्लमान नमाज़ ईद अदा कर सकते हैं ।
नाजायज़-ओ-गैरकानूनी तौर पर मंदिरों की तामीर को रोकने इक़दामात करे वर्ना आगे चल कर ये नाजायज़ मज़हबी ढाँचे कई मसाइल पैदा कर सकते हैं ।।