हर बार ईदैन से क़ब्ल सरकारी सतह पर तमाम मह्कमाजात को इस बात की हिदायत दी जाती है कि वो ईदैन के ख़ुशू-ओ-ख़ुज़ू की बरक़रारी के लिए आ बरसानी(पानी) और बर्क़ी सरबराही में किसी किस्म की कोताही ना करें लेकिन ऐसा महसूस होता है कि दोनों मह्कमाजात के बाअज़ मुतअस्सिब ओहदेदार मौजूद हैं
जिन के सबब हैदराबाद-ओ-सिकंदराबाद के अवाम को ईदैन के मौक़ा पर मुश्किलात का सामना करना पड़ता है । ईद-उल-अज़हा के मौक़ा पर पुराने शहर के बेशतर इलाक़ों में शाम के वक़्त बर्क़ी सरबराही ज़ाइद अज़ तीन घंटे मुनक़ते रही जिस के सबब अवाम को परेशानीयों का सामना करना पड़ा ।
ईद अज़हा के मौक़ा पर पानी की ज़रूरत होती है लेकिन पुराने शहर के बेशतर के इलाक़े ईद को पानी से महरूम रहे जिस के मुताल्लिक़ दरयाफ़त करने पर किसी ने मुनासिब जवाब नहीं दिया ।
जब अमल का वक़्त आता है तो किसी भी महिकमा का कोई ओहदेदार नज़र नहीं आता और ना ही किए गए वाअदे मुकम्मल होते हैं बल्कि ग़ैरमामूली तौर पर ईद के दिन इज़ाफ़ी मसाइल का सामना करना पड़ता है ।