माह रबीउल अव्वल की आमद के साथ ही हर मुसलमान के चेहरे पर ख़ुशीयां बिखर जाती हैं। माहौल एक अजीब किस्म की रौनक से मुनव्वर हो जाता है। हर चीज़ में एक ज़िंदगी नज़र आती है और ये सब कुछ हमारे प्यारे नबी (सल) की इस दुनिया में आमद मुबारक के तुफ़ैल में होता है। सारी दुनिया में फ़र्ज़ंन्दाने इस्लाम अपने नबी की मीलाद मुबारक मनाते हैं। खासतौर पर हिंदुस्तान और बिलख़ुसूस हैदराबाद और रियासत के अज़ला में मीलादुन्नबी(सल.) की ख़ुशीयां जिस अंदाज़ में मनाई जाती हैं वो देखने से ताल्लुक़ रखती हैं।
गुज़िश्ता दो तीन बरसों से अगर्चे कुछ मुसलमान मीलादुन्नबी(सल.) के मौक़ा पर सजावट और दीगर चीज़ों पर बेतहाशा रक़म ख़र्च कर रहे हैं लेकिन ऐसे आशिक़ाने रसूल (सल) भी हैं जो मीलाद उन्नबी(सल.) के मौक़ा पर नादार दुख़्तराने मिल्लत की इजतिमाई शादियों, बिला लिहाज़ मज़हबो मिल्लत रंगो नसल ज़ात-पात मरीज़ों की मदद के लिये ख़ून के अतीया कैंप्स का इनेक़ाद अमल में लाते हैं। इन में अदवियात, मेवेजात, मलबूसात, बलैन्केट्स की तक़सीम का इंतिज़ाम करते हैं।
मीलादुन्नबी(सल.) के मुक़द्दस मौक़ा पर कई ऐसी तन्ज़ीमें भी हैं जो मिल्लत में तालीमी शऊर बेदार करने के लिये ख़ुसूसी प्रोग्राम्स का इनेक़ाद अमल में लाती हैं। तलबा तालिबात में किताबों कॉपियों और दीगर तालीमी मवाद तक़सीम करते हुए उन्हें ये बताती हैं कि हमारे नबी करीम (सल) ने उम्मत को हुसूले इल्म का हुक्म दिया है।
इन ओहदेदारों के मुताबिक़ मेदक डिस्ट्रिक्ट माइनॉरिटी वेलफ़ेयर एसोसीएशन मुक़ामी मुसलमानों की तरक़्क़ी और ख़ुशहाली के लिये मुख़्तलिफ़ इक़दामात करती रहती है। उन लोगों ने उम्मीद का इज़हार किया कि 4 जनवरी को ईदगाह ग्राउंड पर मुनाक़िद होने वाली ये तक़रीब दीगर तन्ज़ीमों के लिए एक सेहत मंद पयाम होगी।