हैदराबाद । ०८। फरवरी : हुज़ूर अनवार सय्यदना मुहम्मद मुस्तफ़ा ई की विलादत मुबारक 12 रबी अलमनोर को ईद अलाईआद मानना और इस तारीख़ को ईद की ख़ुशीयां मनाना ईमानदार होने की दलील है और ईमान वालों की ज़िम्मेदारी है और इस अज़ीम ईमानी-ओ-रुहानी ईद के ज़रीया रसूल पाक ई की अ़ज़्मतें रिफ़अतें शान-ओ-मर्तबत मोजज़ात-ओ-कमालात का तज़किरा कर के सारी दुनिया में आप के ज़िक्र-ओ-बुलंद करना है जो अल्लाह तबारक ताली का वाहिद मंशा-ए-है और अहल ईमान के लिए सुरूर भी है । इबादत भी है ।
मीलाद उन्नबी(सल.) के जलसों और मुहाफ़िल से वो ख़ुश होता है जिस को सरवर-ए-कायनात ई से मुहब्बत होती है । मीलाद उन्नबी(सल.) की इन इलमी-ओ-रुहानीमुक़द्दस तक़ारीब में सारी दुनिया को ये बतलाया जाता है कि हुज़ूर अकरम ई तमाम आलिमों की रहमत हैं । जिन आलिमों को हम जानते हूँ या ना जानते हूँ सरकार दो आलम ई हर आलम की रहमत हैं । मुकल्लिफ़ ग़ैर मुकल्लिफ़ हर की रहमत आप की ज़ातगिरामी है और आप ही के नूर से सारी कायनात की तख़लीक़ अमल में आई । इस लिए सरकार दो आलम ई वजह तख़लीक़-ए-कायनात हैं । अल्लाह तबारक ताली ने ख़ुद इरशाद फ़रमाया तहक़ीक़ आया तुम्हारी तरफ़ अल्लाह की जानिब से नूर और आक़ाए दो जहां ई ने अपना तआरुफ़ देते हुए ऐलान फ़रमाया अल्लाह ने सब से पहले मेरे नूर की तख़लीक़ की है और मेरे ही नूर से सारे आलिमों को वजूद बख्शा है । हुज़ूर अकरम सय्यदना मुहम्मदमुस्तफ़ा ई महिज़ बशर नहीं हैं बल्कि आप अल्लाह के नूर हैं और हमारी हिदायत के लिए लिबास बशर में तशरीफ़ लाए हैं । आप की आमद की ख़ुशीयां अनबया-ए-फ़रिश्ते जिन अनस जानवर समुंद्र की मछलियां यानी कायनात की हर शए ने मनाई है लेकिन सब से ज़्यादा ग़म शैतान को हुआ था । इस लिए इमाम अहलसन्नत हज़रत हाफ़िज़ मुहम्मदअनवार अल्लाह फ़ारूक़ी बानी जामिआ निज़ामीया ने मक़ासिद उल-इस्लाम हिस्सा अव्वल मेंतहरीर फ़रमाया कि मौलूद शरीफ़ सुरूर अहल ईमान है और इर्ग़ाम शैतान है । इन ख़्यालात का इज़हार मौलाना सय्यद शुजाअत अली सिराज कादरी ने मर्कज़ी मजलिस अहलसन्नत-ओ-जमात के ज़ेर-ए-एहतिमाम मर्कज़ी जलसा ईद मीलाद उन्नबी(सल.) को ख़िताब करते हुए मीलाद मैदान ख़लवत पर क्या ।
उन्हों ने कहा कि ये ख़्याल ग़लत है कि सिर्फ नमाज़ीपरहेज़गार शरीयत के पाबंद ही मीलाद का जश्न मनाएं बल्कि मीलाद पाक हर ईमानदार मना सकता है क्यों कि इमाम-ए-आज़म अबोहनीफ़हओ , इमाम शाफ़ई ओ , इमाम मालिक ओ , इमाम अहमद हनबल ओ तमाम अइम्मा इस पर मुत्तफ़िक़ हैं कि गुनाह करने से ईमान ज़ाइल नहीं होता है । मौलाना शफ़ी मुहम्मद ख़ां कादरी ने कहा कि हुज़ूर अकरम ई का सदक़ा है कि अल्लाह तबारक-ओ-ताली ने हम को ख़ैर उम्मत क़रार दिया । सरकार दो आलम ई की मीलाद पाक मनाने से मुहब्बत रसूल पाक का इज़हार होता है ।
मौलानाहाफ़िज़ अबदुलहमीद मुल्तानी कादरी ने कहा कि कल हिंद मर्कज़ी मजलिस अहलसन्नत-ओ-जमात अट्ठाईस साल से ईद मीलाद उन्नबी(सल.) का ये मर्कज़ी जलसा मना कर रसूल पाक ई की मुहब्बत और आप के मुबारक तआरुफ़ से अवामुन्नास को रोशनास कररही है । मिर्ज़ा शाह नवाज़ बैग कादरी ऐडवोकेट ने कहा कि हर क़ौम का कोई ना कोई तहवार होता है दौर-ए-हाज़िर में हर एक के अय्याम मनाए जाते हैं ।
मुस्लमानों के लिए 12 रबीउलअव्वल अज़ीम और मुक़द्दस तारीख़ है । इस तारीख़ हमारे आक़ा की जलवागरी हुई है । इस लिए हम मुस्लमान मुहब्बत रसूल से सरशार होते हैं जोश-ओ-ख़ुरोश के साथ ईद कामंज़र पेश करते हैं । मौलाना मुहम्मद अबदुलख़ालिक़ मुल्तानी ने कहा मौलूद शरीफ़ मनाना क़ुरान-ए-पाक से साबित है क्यों कि रब कायनात ने क़ुरान-ए-पाक में इरशाद फ़रमाता है कि अल्लाह के फ़ज़ल और इस की रहमत पर ख़ुशीयों का इज़हार करें । मीलादउन्नबी(सल.) में रसूल पाक ई की आमद की ख़ुशी का इज़हार है और सरकार दो आलमी अल्लाह का फ़ज़ल भी हैं और अल्लाह की रहमत भी हैं इस लिए अहल ईमान ईद मीलाद मनाते हैं ।