रमजान के महीने के आखिरी दिन जब आसमान में चांद नजर आता है, तो उसके दूसरे दिन ईद मनाई जाती है। चांद दिखने की तारीख को चांद-रात कहते हैं
2. सऊदी अरब में एक दिन पहले चांद दिखाई देता है। इसलिए, वहां ईद भारत से एक दिन पहले होती है।
3. हिंदू पंचांग की द्वितीया तिथि जिसे दोज का चांद कहते हैं, वही चांद रात होती है। हर तीन साल में चांद 30वीं रात दिखाई देता है। इसलिए, रोजे तीस दिन के हो जाते हैं।
4. चांद रात होते ही ईद की तैयारियां शुरू हो जाती हैं।
5. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक रमजान का महीना 30 दिन का होता है। ऐसे में मुसलमान पूरे 30 दिन रोजा रखते हैं।
6. हिजरी कैलेंडर के अनुसार ईद साल में दो बार आती है। एक ईद होती है ईद-उल-फितर और दूसरी ईद-उल-जुहा।
7. माना जाता है कि रमजान के महीने में ही शब-ए-कद्र को कुरआन-ए-पाक नाजिल हुआ था।
8. रमजान माह में 21, 23, 25, 27 और 29 वीं शब को शब-ए-कद्र कहा गया है। आखिरी दस दिन एतकाफ ( एकांत साधना) होता है।
9. ईद की नमाज से पहला फितर (दान) दिया जाता है। जिनकी माली हालत अच्छी है, उनको अपनी आमदनी में कुछ हिस्सा देना होता है।
10. ईद की नमाज शहर काजी पढाते हैं। ईद की नमाज के बाद खुतबा होता है।
11. किसी भी नमाज की तरह ईद में भी बावजूह और पाकसाफ कपड़े होने चाहिए।