ईमानवालों के लिए एक मिसाल

और इसी तरह अल्लाह ने ईमानवालों के लिए फ़िरऔन की बीवी की मिसाल पेश फ़रमाई, जब कि इसने दुआ मांगी ऐ मेरे रब! बना दे मेरे लिए अपने पास एक घर जन्नत में और बचा ले मुझे फ़िरऔन से और इसके (काफ़िराना) अमल से और मुझे इस सितम पेशा क़ौम से नजात दे। (सूरतुल तहरीम।११)

फ़िरऔन की बीवी का नाम आसीया बिंत मुज़ाहम था। बहते दरिया से हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम का संदूक़ इसी ने निकाला था और हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की परवरिश का एहतिमाम किया था। बाद में आप के मोजज़ात देख कर मुसलमान हो गई थीं और हमेशा फ़िरऔन के मुक़ाबले में हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की तरफदारी किया करती थीं।

आख़िर फ़िरऔन को पता चल गया कि आसीया उसे ख़ुदा नहीं तस्लीम करती और मूसा अलैहिस्सलाम पर ईमान ला चुकी है। चुनांचे इस ज़ालिम ने आप के दोनों हाथों और पैरों में मेख़ें ( कीलें) ठोंक दी और चिलचिलाती धूप में डाल दिया, लेकिन आपकी इस्तेक़ामत और पामर्दी ( हिम्मत) का ये आलम था कि उस वक़्त भी मुस्कुराती रहीं।

फ़िरऔन ने जब उन्हें मुस्कुराते देखा तो कहने लगा ये तो पागल और दीवानी हो गई है। इस हालत में ये मूमिना सादिका अपने रब के हुज़ूर ए दामन तलब फैला देती है और अर्ज़ करती है इलाही ! मेरे लिए अपने हरीम क़ुर्ब में एक महल तामीर फ़रमा दे। फ़िरऔन के मनहूस वजूद, उसकी बद आमालियों और सितम से मुझे बचा ले और ये ज़ालिम क़ौम जो अपने मालिक-ए-हक़ीक़ी को छोड़कर इस फ़ानी इंसान को अपना ख़ुदा मानने लगी है, इसके शर से भी मुझे महफ़ूज़ रख।

अहादीस में आया है कि जब हज़रत आसीया के हाथों और पाओ‍ं में मेख़ें गाड़ दी गईं तो अल्लाह तआला ने उन पर जंग के महल को मुनकशिफ़ कर दिया, जिस से उनकी सारी तकलीफें दूर हो गईं और अपने रब के इस लुत्फ़-ओ-करम को देख कर वो मुस्कुराने लगीं।