ईराक और सीरिया के बाद पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक देश बना भारत

आज के दिनों में अगर आप देश की कानून व्यवस्था, विकास और तरक्की की बात करें तो यह सब बातें आपको या तो आपको किताबों में लिखी मिलेंगी या फिर एक चायवाले से प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे ५६ इंच की छाती वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों या मनन की बात में सुनने को मिलेंगे। हालाँकि हालात यह हैं कि इस तरह के जुमले सुन कर अब जनता भी थक चुकी है इसीलिए जुमलेबाज की छुट्टी करने पर आमदा है जैसे कि दिल्ली और बिहार के लोगों ने की।

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अगर देश के ज़मीनी सच की बात करें तो चंद कॉर्पोरेट्स के हाथों देश को बेच रहे सरकारी और गैर-सरकारी तंत्र के खिलाफ अगर कोई आवाज़ उठने की कोशिश करता है तो उसकी आवाज़ को हमेशा के लिए शांत कर दिया जाता है। हाल में सामने आई एक रिपोर्ट का कहना है की भारत दुनिया का सबसे खतरनाक देश बन चुका है। रिपोर्ट की बात मानें तो ईराक और सीरिया के बाद भारत दुनिया भर में जर्नलिस्ट्स के लिए काम करने के लिए सबसे खतरनाक देश बन गया है।

रिपोर्ट का कहना है कि देश में जर्नलिस्ट्स की हत्याओं में पिछले साल में जबरदस्त उछाल आया है। इन मामलों में जितने भी जर्नलिस्ट मारे गए हैं उन में से 90% मामलों में जर्नलिस्ट भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करने की दिशा में काम कर रहे थे।

ऐसे ही ऑपरेशन्स में जुटे दो पत्रकार राजदेव रंजन और अखिलेश प्रताप सिंह जिनका हाल ही में क़त्ल हुआ है भी भ्रष्टाचार को उजागर करने के मानले में छानबीन कर रहे थे की मौत भी इसी तरफ इशारा करती है कि जो कोई देश में कालाबाज़ारी, भ्रष्टाचार को नंगा करने की कोशिश करेगा उसका यही अंजाम होगा।