ईरानी के मामले में हिंदूस्तान का रोल निहायत ही मुआविन

तहरान से आई ए ई ए के उसूलों पर चलने की तवक़्क़ो । पाकिस्तान से बात चीत जारी रखने की वकालत , अमेरीकी सफ़ीर बराए हिंद का बयान अमेरीकी सफ़ीर बराए हिंद नैंसी पाउल ने हिंदूस्तान में पॉलीसी के मफ़लूज होजाने पर तबसरा से अहितराज़ किया अलबत्ता तवक़्क़ो ज़ाहिर की कि मुल्क में अमेरीकी सरमाया कारी से मरबूत सोच में बहुत जल्द तबदीली आएगी । सफ़ीर अमेरीका बराए हिंद जो एशिया सोसाइटी की जानिब से मुनाक़िद एक इजलास से ख़िताब कररही थीं से ये सवाल किया गया कि आया वो हिंदूस्तान की मौजूदा पॉलीसी के मफ़लूज होने से मुताल्लिक़ कोई जवाब देंगी तो उन्हों ने इस सवाल को टाल दिया और कहा कि में एक कैरियर बयो रियो किरीट और सफ़ीर हूँ ।

ताहम हम को तवक़्क़ो है कि ख़ासकर जैसा कि मैं ने मआशी पॉलीसी के बारे में कहा था कि दोनों मुल्कों के तजज़िया कारों को हिंदूस्तान में किसी बात की ज़रूरत है इस पर ध्यान देना होगा । इस के इलावा अमेरीका की अज़ीम तर सरमाया कारी की हौसलाअफ़्ज़ाई भी करनी होगी । तिजारत में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेना होगा । हम को ये भी तवक़्क़ो है कि इन में से बाअज़ बातें बात चीत की मेज़ पर हैं जबकि बाअज़ पर इक़दामात किए जा चुके हैं और चंद इक़दामात बहुत जल्द किए जाएंगे ।

एक और सवाल पर कि आया अमेरीका की जानिब से हिंदूस्तान पर दबाव‌ डाला जाएगा कि वो इरान से तेल दरआमद ना करे , पाउल ने कहा कि इस में दो चीज़ें हैं यहां एक आलमी तहफ़्फुज़ात क़ानून है जो दरअसल नाफ़िज़-उल-अमल है इस का हिंदूस्तान के फैसला पर असर पड़ेगा । ये अंदाज़ा किया जा सकता है कि हिंदूस्तान को इरान से तेल की दरआमदात से ख़तरात होंगे मगर इन तहदेदात की वजह से इस केलिए रुकावट पैदा होगी । दूसरी बात ये है कि हम को तवक़्क़ो है कि इरान आई ए ई ए के क़वानीन के मुताबिक़त में काम करेगा और इस की इताअत करेगा ।

हिंदूस्तान का रोल इस में निहायत ही मददगार साबित होरहा है । अमेरीका , हिंदूस्तान और पाकिस्तान के दरमियान ताल्लुक़ात के बारे में नैंसी पाउल ने कहा कि दोनों मुल्कों (अमेरीका और हिंदूस्तान ) के लिए निहायत ही ज़रूरी है कि वो अपने तौर पर पाकिस्तान के साथ मुज़ाकरात को जारी रखें और अपनी मईशत को फ़रोग़ देने को यक़ीनी बनाने की राहें तलाश करें। यहां जम्हूरियत से इस्तिफ़ादा करने से हमें मदद मिलेगी ।

ये जमहूरी राहें ही मेरी नज़र में सब से ज़्यादा मज़बूत और बुनियादी तौर पर अहम हैं जिस की मद दसे दहश्तगर्दी का मुक़ाबला किया जा सकता है । अगर आप अवाम को ज़्यादा से ज़्यादा ख़ुशहाली तरक़्क़ी याफ़ता बनाएं तो वो मज़बूती हासिल करेंगे । अगर आप अवाम को जम्हूरियत पसंद बनाएंगे तो वो हुकूमत के तमाम अनासिर पर कंट्रोल रखने के काबिल होंगे । लेकिन ये बहुत ही सुस्त तरीन अमल है इस से इकया दो अफ़राद ही फैसला साज़ी का इख़तियार हासिल कर सकें गे , उस की वजह से जमहूरी उसूल पामाल होंगे