ईरानी सदर हसन रुहानी ने मुल्क में शफ़्फ़ाफ़ और मुंसिफ़ाना इंतिख़ाबात के इनेक़ाद का मुतालिबा कर दिया है और उनका कहना है कि एतेदाल पसंद और इस्लाह पसंद सियासी धड़ों को भी आइंदा माह होने वाले पार्लीमानी इंतिख़ाबात में हिस्सा लेने की इजाज़त होनी चाहिए।
उन्होंने ये मुतालिबा जुमेरात को एक तक़रीर में किया है और उनकी ये तक़रीर ईरान के आईनी इदारे पर कड़ी तन्क़ीद समझी जा रही है जिसने एतेदाल पसंद और इस्लाह पसंद उम्मीदवारों की एक बड़ी तादाद को इंतिख़ाब लड़ने का नाअहल क़रार दे दिया है। हसन रुहानी ने कहा कि पार्लीमान अवाम का नुमाइंदा इदारा है, किसी ख़ास धड़े का इदारा नहीं है।
ईरान की मज़हबी अक़लीयतों यहूद ,ईसाईयों और ज़रतुशतों की पार्लीमान में चार, चार नशिस्तें हैं हालाँकि उनकी मजमूई तादाद पाँच लाख से भी कम है। इसी तरह उनसे बड़े ग्रुपों की भी पार्लीमान में नुमाइंदगी होनी चाहिए।